भारतीय परम्परा

Vastu for Temple

वास्तुशास्त्र में पूजा कक्ष का महत्व

सभी स्थलों के वास्तु का उद्देश्य अलग-अलग होता हैं, लेकिन सभी जगह पूजा कक्ष का वास्तु बहुत महत्वपूर्ण होता है, इस कक्ष का उद्देश्य सभी जगह एक ही होता है, भगवान का आर्शीवाद प्राप्त करना। कभी कभी पूजा पाठ के बावजूद भी जीवन में दिक्कतें कम नहीं होती हैं, हम बहुत पूजा पाठ करते हैं, दान धर्म करते हैं, लेकिन अगर हमको परेशानी आती है तो इसका कारण अज्ञानवश पूजा स्थान का चयन गलत दिशा में होना या वहां वास्तु दोष होना होता है ।

Vastu Shastra

वास्तुशास्त्र का उदगम

वास्तुशास्त्र का उदगम वेदों से हुआ है। प्राचीन काल में इसे स्थापत्य वेद के नाम से जाना जाता था। स्थापत्य वेद या वास्तुशास्त्र ,अथर्ववेद का एक उपवेद है। अनेक पुराणों जैसे मत्स्यपुराण, अग्निपुराण इत्यादि में वास्तु के उल्लेख मिलते हैं। विश्वकर्मा और मय के साथ साथ अठ्ठारह अन्य ऋषि जैसे प्रभु बृहस्पति, नारद,अत्री इत्यादि वास्तु के मुख्य प्रवर्तक माने गए हैं। वास्तु विषय शास्त्रीय ग्रंथों जैसे मानसार, मयमतम्, समरांगण सूत्रधार में वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों का प्रतिपादन किया गया है





©2020, सभी अधिकार भारतीय परम्परा द्वारा आरक्षित हैं। MX Creativity के द्वारा संचालित है |