भारतीय परम्परा

लाभ पंचमी का महत्व | सौभाग्य पंचमी

सौभाग्य पंचमी की पूजा से होती है कारोबार में वृद्धि

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को लाभ पंचमी का त्योहार मनाया जाता है जिसे "सौभाग्य पंचमी", "लखेनी पंचमी" और "ज्ञान पंचमी" के नाम से भी जाता है। यह शुभ तिथि दिवाली पर्व का ही एक हिस्सा है कुछ स्थानों पर दीपावली के दिन से नववर्ष की शुरुआत के साथ ही सौभाग्य पंचमी को व्यापार व कारोबार में तरक्की और विस्तार के लिए भी बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि सौभाग्य पंचमी के दिन विधिवत पूजा-प्रार्थना से जीवन में सुख तथा समृद्धि आती है। साथ ही लाभ पंचमी के दिन शंकर भगवान की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती है, परिवार में सुख-शांति आती है तथा श्री गणेश पूजन समस्त विघ्नों का नाश कर काराबोर को समृद्ध और प्रगति प्रदान करता है।

लाभ पाँचम का महत्व (Labh Pancham significance ) –
हिंदू ग्रंथों में लाभ को परिभाषित किया गया है -
"लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः
यशेम इंदेवरा श्याम हुरुदयम थौ जनार्दन"


लाभ पंचमी के दिन किसी नए व्यवसाय के काम को शुरू करना बहुत शुभ माना जाता है | दिवाली के दिन जो लोग लक्ष्मी पूजन नहीं कर पाते है, वो इस दिन अपनी दुकाने तथा व्यवसायी संस्थान खोलकर पूजन करते है | इस दिन माँ लक्ष्मी एवं गणेश का पूजन करके भी सुख समृधि, ऐश्वर्य और कारोबार वृद्धि की प्रार्थना कर सकते है | लाभ पंचमी के दिन लोग एक दुसरे को आने वाले समय में अच्छे लाभ व व्यापर के लिए बधाई देते है |

यह पर्व गुजरात में बड़ी धूमधाम से मनाते है | भारत के कई हिस्सों में दिवाली का त्योहार भाई दूज के साथ ख़त्म हो जाता है | जहाँ धनतेरस, नरक चौदस, दीपावली, अन्नकूट, भाई दूज का त्योहार मनाते है पर गुजरात में ये त्योहार धनतेरस से शुरू होकर लाभ पंचमी को समाप्त होता है |

दिवाली के बाद दुसरे दिन गुजरात में लोग बाहर घूमने या यात्रा पर चले जाते है और लाभ पंचमी के दिन सब लौटकर अपने कामकाज में जुट जाते है, और नए तरीके से काम शुरुवात करते है | इस दिन से वहां व्यवसायी लोग नया बहीखाता शुरू करते है, जिसे 'खातु' भी कहते है | खातु की विधि पूर्वक पूजा करते है जिसमें सबसे पहले कुमकुम से बायीं तरफ शुभ और दाहिने तरफ लाभ लिखते हैऔर बीच में स्वस्तिक बनाते है |

भारत के कुछ क्षेत्र में लाभ पंचमी के दिन लोग विद्या की पूजा करते है और जैन समुदाय के लोग ज्ञानवर्धक पुस्तक की पूजा करते है, साथ ही और अधिक बुद्धि ज्ञान में वृद्धि के लिए प्रार्थना करते है |





Significance of Saubhagya Panchami
सौभाग्य पंचमी
सौभाग्य पंचमी महत्व | Significance of Saubhagya Panchami -

व्यापार के क्षेत्र में सौभाग्य पंचमी का विशेष महत्व है। लाभ पंचमी के शुभ अवसर पर व्यापारी नए काम की शुरुआत करते हैं। साथ ही खुशी मनाने के लिए घरों को रोशनी से सजाया जाता है तथा रात में आतिशबाजी भी की जाती है। लाभ पंचमी के दिन शुभ मुहूर्त होने के कारण बाजार में खरीदारी भी की जाती है। इसके अलावा इस शुभ अवसर पर विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों हेतु खरीददारी करना भी अच्छा माना जाता है। सौभाग्य पंचमी के व्रत तथा पूजा करने से जीवन में सुख और सौभाग्य बढ़ता है।

सौभाग्य पंचमी के शुभ अवसर पर विशेष मंत्र जाप द्वारा भगवान श्री गणेश का आवाहन करते हैं जिससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है। कार्यक्षेत्र, नौकरी और कारोबार में समृद्धि की कामना की पूर्ति होती है। इस दिन गणेश के साथ भगवान शिव का स्मरण शुभफलदायी होता है। सुख-सौभाग्य और मंगल कामना को लेकर किया जाने वाला सौभगय पंचमी का व्रत सभी की इच्छाओं को पूर्ण करता है। इस दिन भगवान के दर्शन व पूजा कर व्रत कथा का श्रवण करते हैं। सौभाग्य पंचमी के अवसर पर मंदिरों में विषेष पूजा अर्चना की जाती है गणेश मंदिरों में विशेष धार्मिक अनुष्ठान होते हैं।

सौभाग्य पंचमी पूजा विधि | Saubhagya Panchami Puजनवरी -
प्रात: जल्दी उठकर स्नान इत्यादि से निवृत होकर सर्वप्रथम सूर्य देव को जल अर्पण करें, इसके बाद शुभ मुहूर्त में भगवान शिव व गणेश जी की प्रतिमाओं को स्थापित किया जाता है | श्री गणेश जी को सुपारी पर मौली लपेटकर चावल के अष्टदल पर विराजित किया जाता है | भगवान गणेश को चंदन, सिंदूर, अक्षत, फूल, दूर्वा से पूजना चाहिए तथा भगवान शिव को भस्म, बिल्वपत्र, धतुरा, सफेद वस्त्र अर्पित कर पूजन किया जाता है | पूजा करने के बाद द्वार के दोनों ओर स्वस्तिक का निर्माण करें | सौभाग्य पंचमी पर विशेष मंत्र का जाप कर भगवान श्री गणेश का आवाहन करते हैं, इस दिन गणेश के साथ भगवान शिव का स्मरण शुभफलदायी होता है -

गणेश मंत्र –
लम्बोदरं महाकायं गजवक्त्रं चतुर्भुजम्। आवाहयाम्यहं देवं गणेशं सिद्धिदायकम्।।

शिव मंत्र –
त्रिनेत्राय नमस्तुभ्यं उमादेहार्धधारिणे। त्रिशूलधारिणे तुभ्यं भूतानां पतये नम:।।

मंत्र के बाद भगवान गणेश व शिव की धूप, दीप व आरती करनी चाहिए और प्रसाद अर्पण करें। गणेश जी को मोदक का तथा शिवजी को दूध से बने सफेद पकवानों का भोग लगाया जाता है | फिर हाथ जोड़ कर भगवान से अपनी गलती के लिए क्षमा मांगे और कार्यावृद्धि के लिए आशीर्वाद | अंत में भगवान को अर्पित प्रसाद समस्त लोगों में वितरित करें व स्वयं भी ग्रहण करें।

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