ट्रेन रफ्तार से दौड़ी जा रही थी और उसके साथ ही मेरे विचारों ने भी रफ्तार पकड़ ली अतीत में छुट्टियों के दौरान की गई यात्राओं के सुखद पल मानस पटल पर अंकित होते ही एक मीठी सी मुस्कान चेहरे पर बिखर गई। अगले ही स्टेशन पर एक सुशिक्षित दंपति और उनका दस वर्षीय बेटा ट्रेन में चढ़े और मेरे सामने वाली सीट पर बैठ गए, वह तीनों ही इस स्लीपर क्लास में बड़े ही असहज महसूस कर रहे थे।

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