व्यापार और वाणिज्य में गंगा का महत्व

"पवित्र करने वालों में मैं वायु हूँ, शस्त्रधारियों में मैं राम हूँ, जलचरों में मैं मगरमच्छ हूँ और नदियों में मैं गंगा हूँ | "
'मर्यादा है इस देश की पहचान है गंगा; पूजा, है धरम, दीन है, ईमान है गंगा |' - कवि पंडित हरेराम द्विवेदी
'गंगा हमारी आस्था ही नहीं, अर्थव्यवस्था भी है |' - योगी जी
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने गंगा से जुडी आर्थिक गतिविधियों पर फोकस करते हुए "नमामि गंगे" को "अर्थ गंगा" के रूप में परिवर्तित करने की बात कही |
"हमारी इस संस्कृति में नदियों को सिर्फ पानी के स्त्रोत या भौगोलिक अस्तित्व की तरह नहीं देखा जाता था, बल्कि मौलिक जीवन - दायक तत्वों की तरह देखा जाता था | हम नदियों को सिर्फ जल के स्त्रोत के रूप में नहीं देखते | हम उन्हें जीवन देने वाले देवी देवताओं के रूप में देखते है|" - सद्गुरु
मोक्षदायिनी गंगा सिर्फ आस्था का केंद्र बल्कि एक प्राकृतिक संसाधन के रूप में देश की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान कर रही है | गंगा को उत्तर भारत की "अर्थव्यवस्था का मेरुदण्ड" भी कहा गया है |
हमारे देश में नदियों को सम्मान देने की बहुत प्राचीन परम्परा रही है, नदियों पर भाखड़ा बांध, दामोदर घाटी परियोजना आदि बहुत बहुउद्देशीय परियोजनाएं बनाई गयी है | इन परियोजनाओं को पंडित जवाहरलाल नेहरू आधुनिक भारत के मंदिर कहकर पुकारा करते थे | यह परियोजनाएं भारत विभिन्न आवश्यकताओं जैसे सिंचाई, विद्युत उत्पादन, नौका वाहन, बाढ़ नियंत्रण, मत्स्य पालन, मिट्टी का संरक्षण, पर्यटन आदि को पूरा करती है |
"पंडित जवाहरलाल नेहरू ने डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया में गंगा की भारत की जीवन रेखा बताया है," उन्होंने लिखा था कि गंगा भारत के लिए प्रकृति की वह नेमत है जिसके द्वारा देश को एकता और अखंडता में बांधे रखा जा सकता है | यह गंगा जितनी हिन्दुओं की है, उतनी ही भारत देश में रहने वाले हर मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध की भी है |
इस प्रकार स्पष्ट है गंगा किस प्रकार से जनमानस के जीवन की गहराइयों से जुडी है | इसलिए तो गंगा को भारत वर्ष की आत्मा भी कहा जाता है |
नदी नाद करती है, नाद ब्रह्माण्ड है और वही गंगा में है | हमारी आस्थाओं ने ही गंगा को माँ गंगा बनाया है | वैदिक ज्ञान का बोध नदी तट पर हुआ, किन्तु गंगा स्वयं ज्ञान भंडार है, यह प्रेरणा भी है, यह कृष्ण और गीता की तरह कर्म करने का ज्ञान देती है |
गंगा नदी में औषधीय गुण भी है जिसके कारण इसे "ब्रहम द्रव्य" कहा जाता है | गंगा मात्र एक नदी नहीं है, वह तो हमारी माता है, हमारे देश की जीवनधारा है, वह करोड़ो लोगो की आजीविका का सहारा है | गंगा किनारे के निवासी चाहे किसी भी धर्म को मानने वाले हो गंगा को नदी नहीं बल्कि माँ के रूप में पूजते है और माँ गंगा हमेशा अपने बच्चो की आर्थिक रूप से सुदृढ़ करती है, उसके व्यापार को फलने - फूलने में मदद करती ही है |

गंगा नदी का प्राकृतिक, सांस्कृतिक और आधात्मिक महत्व पुरे विश्व में माना जाता है | गंगा देवभूमि उत्तराखंड के गंगोत्री से निकल कर २५२५ कि. मी. की यात्रा में पाँच राज्यों - उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से गुजरती है और अपनी नदी घाटी में 11 राज्यों को समेटे हुवे है | गंगा नदी के प्रति विदेशी साहित्य में भी प्रशंसा और भावुकतापूर्ण वर्णन किया गया है |
गंगा भारत के आर्थिक तंत्र का एक मत्वपूर्ण भाग है | गंगा नदी पर निर्मित अनेक बांध भारतीय जन - जीवन तथा अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग है | इनमे प्रमुख है - फरक्का बांध, टिहरी बांध और भीमगोडा बांध | गंगा और उसकी सहायक नदियों के कारण उत्तर भारत देश की सबसे उर्वरा भूमि के रूप में विकसित हुआ है | गंगा बेसिन से देश के ४० फीसदी भू - भाग को पर्याप्त जल उपलब्ध होता है |
गंगा ने अपने औषधि स्वरूप जल, समृद्ध जलीय जिव विरासत, उपजाऊ भूमि, खनिज भंडार, रेत, बजरी, यातायत की सुगम व्यवस्था एवं विशाल जल राशि, मछली व्यापार, गंगा आरती, नौकायन, रिवर राफ्टिंग, टूरिस्ट गाइड, पर्यटन, नियंत्रित रेत खनन, मूर्ति एवं कुम्हार व्यवसाय हेतु चिकनी बलुई मिट्टी, स्नान पर्व, कुम्भ - अर्धकुम्भ आयोजन, प्रयाग में प्रति वर्ष माघ माह में कल्पवास, काशी में देव दीपावली महोत्सव, गंगा महोत्सव, धार्मिक संस्कार मुंडन, कर्ण छेदन, उपनयन, विवाहोपरांत गंगा पुजेया आदि घाटों की साफ सफाई, दर्शन - पूजा - पाठ, पुरोहित, अंतिम संस्कार, उसके द्वारा सींची गयी खेती, उसके वनो में रहने वाले पशु - पक्षी, उसके ऊपर बने बाँधो से प्राप्त बिजली और पानी, उस पर बनाये पुलों से बढ़ता यातायात और उसके जलमार्ग से होता आवागमन तथा पर्यटन, आदि भारत के व्यापार और वाणिज्य में गंगा के अतुलनीय महत्व और योगदान को दर्शाता है | इसी कड़ी में गंगा प्रदूषण निवारण तकनिकी उद्योग तथा गंगा जलमार्ग भी है |
अब इन विषयो पर विस्तृत विचार कर लेते है -

1. भारत देश की कृषि आधारित अर्थ व्यवस्था में गंगा नदी का बहुत बड़ा योगदान है, गंगा नदी देश के एक बड़े भू भाग के लिए सिंचाई का बारहमासी स्त्रोत है, इस क्षेत्र में प्रमुख रूप से धान, गन्ना, दाल, तिलहन, आलू, गेहूं आदि की खेती बहुत बड़े स्तर पर की जाती है | गंगा के तटीय क्षेत्रों में दलदल एवं झीलों के कारण यहां लेग्यूम, मिर्च, सरसों, तिल, गन्ने और जूट की अच्छी फसल होती है और देश के व्यापर को बढ़त मिलती है |
2. रिजर्व बैंक के एक अनुमान के अनुसार गंगा बेसिन का क्षेत्र देश की सभी नदियों के कुल बेसिन का एक तिहाई है लेकिन यहां देश के अनाज का आधे से ज्यादा उत्पादन होता है और इस प्रकार व्यापार और वाणिज्य में गंगा के योगदान का यह प्रत्यक्ष उदाहरण है | इसी तरह गंगा के किनारे जो उद्योग लगे है उनको होने वाली जलपूर्ति की जिम्मेदारी निभाकर गंगा इस प्रकार भी व्यापार को बढाती है |
3. मत्स्य उद्योग की बात करें तो वह भी बड़े जोरों पर होता है, फरक्का बांध बन जाने से गंगा नदी में हिल्सा मछली के बीजोत्पादन में मदद मिलती है, जो अपने आप में एक पूरा बड़ा व्यापार है | मांझी समाज के लोग नौकायन एवं मछली पकड़ कर गंगा के माध्यम से अपनी आजीविका प्राप्त करते है | गंगा को रिवर सिस्टम कहा जाता है जो कि भारत की सब से बड़ी रिवर सिस्टम ही | गंगा रिवर सिस्टम में 375 मछली की प्रजातियां उपलब्ध है | उत्तर प्रदेश एवं बिहार में 111 मत्स्य प्रजातियां पायी जाती है | मछली के शौकीनों का मानना है की समुद्र से गंगा में आने वाली हिल्सा मछली का स्वाद कहीं भी ओर पकडे जाने वाली हिल्सा मछली से ज्यादा अच्छा होता है |
4. गंगा के तट पर ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण तथा प्रकृति सोंदर्य से भरपूर कई पर्यटन स्थल है, गंगा तट के तीन शहर हरिद्वार, इलाहाबाद एवं वाराणसी हमारे देश के बड़े तीर्थ स्थल माने जाते है, जहाँ वर्ष भर तीर्थ यात्री आते है, गंगा किनारे हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण पर्व कुंभ, अर्धकुंभ, कल्पवास प्रवास, माघ मास में गंगा स्न्नान, मकर संक्राति गंगासागर पर आदि का आयोजन होता रहता है जो इतने ही दिनों के व्यापार द्वारा पूरे वर्ष के खर्च का इंतजाम करा देता है |
5. आज भी ऐसे परिवारों की बड़ी संख्या है जो धार्मिक संस्कार, मुंडन, कर्ण छेदन, उपनयन, विवाहोपरांत गंगा पुजेया आदि के बहाने से गंगा किनारे आते है और विभिन्न रूपों में यहाँ की व्यापार को मदद करते है |
6. सिर्फ इतना ही नहीं गर्मी के मौसम में जब पहाड़ो से बर्फ पिघलती है, तब नदी में पानी की मात्रा व बहाव अछा होता है, इस समय उत्तराखंड में ऋषिकेश - बद्रीनाथ मार्ग पर कौडियला से ऋषिकेश के मध्य रैफ्टिंग के शिविरों का आयोजन किया जाता है, जो साहसिक खेलो के शौकीनो और पर्यटकों को विशेष रूप से आकर्षित करता है जिससे घाटों के किनारे पूजन सामग्री बेचने वालों , पुजारियों, नाविकों आदि को आजीविका प्राप्त होती है, जो हर प्रकार के व्यापर को बढ़ावा देता है|
7. गंगा के किनारे हिन्दू लोगो के अंतिम संस्कार के निमित्त महाशमशान के रूप में प्रसिद्द कशी में लगभग तैतीस हज़ार शवों का अंतिम संस्कार हर साल होता है , लगभग १६ हज़ार टन लकड़ी शवों को जलने में लगती है| इस प्रकार राख प्रवाह, पिंडदान, विधुत शवदाह गृहो इत्यादि कार्य भी अर्थ का लेंन देन से ही होता है और इस प्रकार प्रकारांतर से व्यापार का ही एक रूप है |
8. वाराणसी, ऋषिकेश, संगम के गंगा घाट की गंगा आरती विश्व प्रसिद्ध है एवं देश - विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करते है | गंगा आरती एवं देव दीपावली महोत्सव देखने आते है |
काशी में अक्टूबर - नवम्बर माह में आयोजित होने वाले देव दीपावली एवं गंगा महोत्सव देखने के लिए लोग देश विदेश से आते है, जिसके लिए होटल की बुकिंग जून माह में ही हो जाती है | सारी नावें पहले से ही बुक हो जाती है | अब तो यह गंगा आरती अन्य कई घाटों जैसे कछला, सूकर क्षेत्र में हर की पौढ़ी पर भी काफी अच्छे तरीके से होने लगी है, जहाँ काफी लोग इसे देखने आते है, इस प्रकार घाटों पर पूजा पाठ से एकत्र विभिन्न आजीविका के अवसर जैसे नौकायन, घोड़े वाले, खाद्य सामग्री बिक्री, योगा, मालिश वाले, टूरिस्ट - गाइड व्यवसाय आदि बढ़ रहे है और व्यापार जोर पकड़ रहा है |
9. बंगाल से आये मूर्तिकार बिना गंगा की मिट्टी के दुर्गा प्रतिमा का निर्माण नहीं करते है और यह परम्परा भी है कि माता की प्रतिमा में गंगा की मिट्टी का ही उपयोग किया जाये | इसके लिए वे बंगाल से गंगा की मिट्टी ट्रकों से मंगाते है | गंगा नदी की मिट्टी काफी चिकनी और हल्की चमकीली होने की वजह से प्रतिमा में अलग ही चमक आती है और इन प्रतिमाओं का काफी बड़े स्तर पर व्यापार किया जाता है |
10. कुम्हार गंगा की बलुई मिट्टी से सुराही, घड़े, कुल्हड़ आदि बर्तनो का निर्माण करते है जो आज भी पर्यावरण एवं स्वास्थ की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी है, इसी कारण बाजार में इनकी मांग हमेशा बनी रहती है |
11. गंगा नफ़ी से गुजरने वाले 1620 किलोमीटर लंबे इलाहाबाद - हल्दिया जलमार्ग को भारत में राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या 1 का दर्जा दिया गया है | राष्ट्रीय जलमार्ग - 1 राष्ट्रीय महत्व का जलमार्ग है, जो उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से होकर गुजरता है, गंगा से सटे क्षेत्रों की औद्योगिक जरूरतों को पूरा करने में योगदान देता है |
12. अंग की राजधानी चंपा बिहार के भागलपुर क्षेत्र में गंगातट पर स्थित एक सक्रीय नदी पत्तन था जो पूर्व की ओर होने वाले व्यापार पर नियंत्रण रखता है |
13. बिजली उत्पादन भी गंगा आधारित प्रमुख उद्योग है |
अंत में मैं सुब्रत के मंडल - वरिष्ठ अर्थशास्त्री, अंबेडकर विश्व विद्यालय दिल्ली के विचार को आपके समक्ष रखना चाहती हूँ उनके विचारों से मैं भी पूर्णतया सहमत हूँ | उनका मानना है कि गंगा में डुबकी लगाने भर से ही असंख्य लोगो को शांति की अनुभूति होती है जिसका आर्थिक मूल्यांकन किया जाना संभव ही नहीं है | गंगा के पानी से जो बिजली बनती है, सिंचाई होती है और पेयजल के साथ - साथ उद्योगों के इस्तेमाल के लिए जो पानी जाता है, उसका आंकलन नॉन यूज वैल्यू (गैर उपभोग मूल्य) श्रेणी में आता है | गंगा प्रत्यक्ष योगदान के साथ -साथ कई अप्रत्यक्ष तरीकों से भी समाज की सेवा करती है | जीडीपी के आंकलन की मौजूदा प्रणाली भी गंगा की इन सेवाओं का आंकलन नहीं कर सकती |

लेकिन आज समय की मांग है कि माँ गंगा के इस परोक्ष योगदान का भी मूल्यांकन किया जाये ताकि हमें उनकी अहमियत का पता चल सके और भिन्न - भिन्न रूपों में "हमारे देश के व्यापार और वाणिज्य में गंगा द्वारा" होने वाली मदद को भी हम साफ़ तौर पर देख सके |
अब मैं कुछ ऐसे क्षेत्रो के बारे में बात करना चाहूंगी, जिनका विकास गंगा हमारे व्यापार - वाणिज्य को और भी मदद कर सकते है, जैसे गंगा किनारे वॉटर स्पोर्ट्स, कैंप के लिए जगहों के विकास, साइकिलिंग व् वाकिंग ट्रैक आदि का विकास किया जा सकता है | गंगा में धार्मिक गतिविधियों संग हाइब्रिड पर्यटन यानि नयी तरह से विकसित एडवेंचर पर्यटन को शुरू करना चाहिए और इस प्रकार की अन्य अनेक गतिविधियों के बारे में विचार किया जा सकता है |
इसके साथ ही आपके इस मंच के माध्यम से मैं कुछ सन्देश भी समाज को देना चाहूंगी कि नदियाँ सदैव ही जीवनदायिनी रही है | नदियों का सम्मान करना सीखना होगा | इसके लिए हमे स्वयं संकल्पबद्ध होना होगा और स्वयं से किया यह संकल्प हर हाल में निभाना होगा | इस जीवन - वाहिनी नदी गंगा की निर्मलता एवं विशेषतः अविरलता पर ध्यान दिया जाना प्राथमिक आवश्यकता है | गंगा बची रहेगी तभी हमारी संस्कृति, सभ्यता, अर्थव्यस्था और हमारा समाज चिरस्थायी रह कर उन्नति क्र सकता है | यदि गंगा विलुप्त हुवी तो इस धरा से सभ्यता का विनाश भी निश्चित है | हमें इसी समय जरुरी कदम उठाने होंगे, ताकि उस त्रासदी को रोका जा सके, जो हमारी कल्पनाओं से भी परे है |
यदि हम स्वस्थ रहना चाहते है, अच्छा और सफल जीवन जीना चाहते है, तो यह महत्वपूर्ण है कि हमारे भीतर के तत्व आपका सहयोग करें | हम सभी को अपनी भूत - शुद्धि पर ध्यान देना होगा, जिसका अर्थ होता है - पांच तत्वों की सफाई | यह शरीर, ग्रह, सौर मंडल और ब्रह्माण्ड - ये सब कुछ पांच तत्वों का एक खेल है : पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश | "पाँच तत्वों को आदर देने की संस्कृति को वापस लेन का अब समय आ गया है |"
पवनः पवतामस्मि रामः शस्त्रभृतामहम |
झषाणाम मकरश च अस्मि श्रोत साम अस्मि जान्हवी ||