भारतीय परम्परा

TRIPTI JI TRIVDEI

तृप्ति जी त्रिवेदी
तृप्ति जी त्रिवेदी

माता-श्रीमति राजकुमारी तिवारी
पिता -आ.श्री दिनेश प्रसाद तिवारी(रिटायर्ड प्रधानाध्यापक)
पति- आ. श्री परितोष त्रिवेदी(एडवोकेट)
संतान-पुत्र सत्यांश त्रिवेदी
जन्मस्थान- अंजनियाँ(म.प्र.) 7 मार्च 1978
शिक्षा-M.A. LLB
पेशा-वकालत
भाषा-हिंदी
रुचि-आध्यात्म,इंटीरियर डेकोरेशन,नृत्य, अब लेखन भी
बुरी आदत-जिद्दी होना
मनपसंद मौसम-खुशियों का
मेरा परिचय ...भारत के गाँव मे जन्मी रामप्रेमी हूँ
पिता जी की नोकरी गाँव(अंजनियाँ)में थी मेरा जन्म वहीं हुआ आठवीं तक की पढ़ाई गावँ में ही हुई तो गाँव की सरलता आज भी अंतर्मन में बसी हुई है वही #सरलता लेखनी में भी है..आगे की स्कूल से लेकर कॉलेज तक की पढ़ाई हमारे पैतृक शहर मंडला में हुई स्कूल और कॉलेज में विविध कार्यक्रमों में प्रतिभागी रहती थी फिर विवाह के बाद वकालत की पढ़ाई ..
मेरी साहित्य यात्रा बहुत बड़ी नही है और ना ही बहुत रुचि थी लेखन में बस कोरोना काल ने आध्यात्मिकता पर लिखने का अवसर दिया अपनी fb id में लिखती थी ..दैनिक समाचार पत्रों में अनेकों बार कविताएं और लेख प्रकाशित हुए.. अभी मार्च से ही मैं ज्योति मिश्रा दी के माध्यम से संस्थान से जुड़ी हूँ... और बहुत आभारी हूँ संस्थान की जो इतने कम समय में ही मुझे अनेकों बार सम्मानित कर प्रोत्साहित किया गया...
सभी गुरुजनों को सादर प्रणाम और साथियों को बहुत धन्यवाद.. संस्थान से जुड़कर एक बात बहुत अच्छी लगी मुझे कि यहाँ आपस मे कोई प्रतिस्पर्धा नही,सब एकदूसरे को प्रोत्साहित करते हैं इससे मनोबल बढ़ता है..

मेरा मानना है कि सरलता में ही तृप्ति संभव है.
इंसान का इंसान से हो भाईचारा

इंसान का इंसान से हो भाईचारा

ईश्वर ने हमे बहुत सुंदर धरती दी थी रहने को, उसको कुरूप हमने किया है.. ईश्वर ने हमें बहुत सुंदर जीवन दिया मासूमियत और ईमानदारी से भरे बचपन के रूप में... उसे कुरूप हमने किया अपने स्वार्थबस निंदा, झूठ, ठगी, लालच, लूटमार, बलात्कार, बेईमानी, छल-कपट, धर्म के नाम पर झगड़े, सत्ता के नाम पर झगड़े से.. उसकी सजा हमें समय समय पर अनेक बीमारियों के रूप मे ं,प्रलय के रूप में मिलती रही है पर हम शांत नहीं हुए, हमने चांद पर कब्जा..





Prakratik Aapda

🙏मेरा चिंतन इस आपदा पर🙏

🌸 अहो भाग्यमानुष तन पाया, भजन करूँगा कहकर। आया झूठे जग की झूठी माया, मूरख इसमें क्यूँ भरमाया 🌸

यानि कि जब हम माँ के गर्भ में छोटी सी अंधेरी जगह में रहते हैं, अंधेरे से डरते हैं तब ईश्वर ही हमारे साथ वहाँ रहते हैं .. ईश्वर को धन्यवाद करते हैं कि हे प्रभु .. मैं बहुत भाग्यशाली हूँ जो आपने मुझे मनुष्य तन दिया आपका भजन, सुमिरन करूँगा, आपके बताए रास्ते में चलूंगा लेकिन जैसे जैसे बड़े होते जाते हैं हम इस झूठे संसार के झूठे रिश्तों में उलझ कर रह जाते हैं... ईश्वर भजन के लिए समय नही रहता, निकाल नही पाते ..

Shree ka Arth

शुभ जीवन... कैसे होगा शुभ???????

श्री से होगा सब शुभ ... हाँ जी, श्री से ही होगा.... श्री( लक्ष्मी(स्त्री) + नारायण(पुरुष)) ऐसे तो वेदों में, ग्रंथों में श्री पर बहुत पढ़ने सुनने को मिलेगा... पर हम संसारियों के लिए जितना जरूरी है वो ये है कि #श्री मतलब #शुभ ...





Siya ke Ram

मेरे राम की जय जयकार

रामायण जी का एपिसोड देखकर अधिकांश लोगों के मन मे यही विचार आ रहा होगा कि यदि विभीषण ने भेद नही बताया होता, तो रावण का अंत नही हो पाता..
1.रावण कौन 👉(काम, क्रोध, लोभ, मोह, इर्ष्या, छल, कपट, अनीति, चोरी और झूठ)।
2.विभीषण कौन 👉 धर्मात्मा भाव।
3. राम कौन 👉 अपने अंतरमन में बैठा सत्य, मासूम, विनम्र भाव
अब समझिए रावण के दस सिर उसके दुर्गुणों का प्रतीक था..

Navratri

नवरात्रि शक्ति बढ़ाने का पर्व

🌸मुश्किलों को हराने के लिए खुद को बेहतर बनाये🌸
#वैष्णोदेवी* जी की कथा सभी को पता है,#श्रीकृष्ण के #रणछोड़* कहलाने की कथा भी सभी को पता है(विस्तार में बताने की आवश्यकता नहीं है)
जब युद्ध में सामने भी शक्तिशाली शत्रु हो तो समझदारी से काम लेना चाहिए, #वैष्णोदेवी माँ ने भी #भैरवनाथ का वध करने के पहले 9 माह गुफा में तपस्या की।मातारानी ने पहले (#ममतामयी रूप में) चेताया कि वापस जा ,लेकिन नही मानने पर #महाकाली का रूप लेकर #हठी भैरवनाथ का संहार कर दिया ..🙏🌸





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