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एक बार एक गांव में एक लड़का रहता था जो की हमेशा सपने देखता था लेकिन जब वो अपने सपनों के बारें में दूसरों को बताता तो सब उसका मज़ाक उड़ाते और उसको समझने वाला कोई नहीं था। सब उससे यही कहते की ये तुम्हारे सपने पूरे नही हो सकते क्योंकि तुम एक छोटे से गांव में रहते हो। उस लड़के को ये सुनकर बहुत ही ज़्यादा गुस्सा आता था कि क्या हमारे गांव में कोई भी इतना काबिल नहीं है जो हमारे गांव का नाम रौशन का सके... ? और हमेशा सोचता था कि अगर आज तक किसी ने हमारे गांव में सपने नही देखे और सफलता नहीं पाई तो कोई बात नहीं, मैं अपने गांव का नाम रौशन ज़रूर करूंगा। लड़के के एक दोस्त ने उसको सुझाव दिया कि हमारे गांव से कुछ दूरी में ही एक पुस्तकालय है जहां जाकर उसको अपने सपनों के लिए कोई दिशा मिल सके या और भी कई बातों की जानकारी मिल जाएगी जो वो जानना चाहता है।
एक बार एक गांव में एक लड़का रहता था जो की हमेशा सपने देखता था लेकिन जब वो अपने सपनों के बारें में दूसरों को बताता तो सब उसका मज़ाक उड़ाते और उसको समझने वाला कोई नहीं था। सब उससे यही कहते की ये तुम्हारे सपने पूरे नही हो सकते क्योंकि तुम एक छोटे से गांव में रहते हो। उस लड़के को ये सुनकर बहुत ही ज़्यादा गुस्सा आता था कि क्या हमारे गांव में कोई भी इतना काबिल नहीं है जो हमारे गांव का नाम रौशन का सके... ? और हमेशा सोचता था कि अगर आज तक किसी ने हमारे गांव में सपने नही देखे और सफलता नहीं पाई तो कोई बात नहीं, मैं अपने गांव का नाम रौशन ज़रूर करूंगा। लड़के के एक दोस्त ने उसको सुझाव दिया कि हमारे गांव से कुछ दूरी में ही एक पुस्तकालय है जहां जाकर उसको अपने सपनों के लिए कोई दिशा मिल सके या और भी कई बातों की जानकारी मिल जाएगी जो वो जानना चाहता है। उस लड़के ने अगले ही दिन पुस्तकालय जाकर देखा तो वहाँ पर अनगिनत किताबें थी और तो और वहाँ एक दम शांति और हर कोई बस किताबें ही पढ़ रहा था। वो लड़का बहुत खुश हुआ जैसे मानो उसके मन की मुराद पूर्ण हो आ गयी हो। अब वो हर रोज़ वहाँ जाता और किताबें पढ़ता, जिससे उसके लिए अब कुछ भी करना मुश्किल नही था। एक दिन पुस्तकालय से लौटते वक्त उसने गांव के कुछ बच्चों को देखा जो की उसको देखकर बहुत खुश हो रहे थे लड़के ने बच्चों से पूछा तुम लोग आखिर इतना खुश क्यों हो..? तब उनमें से एक बच्चा बोला की भईया आप किताबें पढ़ने और अपने सपने को पूरे करने के लिए इतना दूर जाते हो और आप थकते भी नही... ? आप देखना जब हम बड़े हो जायेंगे तो हम भी अपने सपने पूरे करने के लिए उस अनोखी जगह जाएंगे जहां से आपने इतना ज्ञान पाया है अब आपको सफलता मिल कर ही रहेगी। वह लड़का हंसकर बोला सही कहा तुमने मैं अपना सपना ज़रूर पूरा करूंगा, लेकिन क्या तुम्हें पता भी है की सपना क्या है?? बच्चों ने कहा नही हमें नही पता तब लड़के ने बताया "मैं अपने इसी गांव को शहर की तरह बनाना चाहता हूँ जैसे शहर में लोग पढ़ते-लिखते हैं और तरक्की करते हैं वैसे ही हमारे गांव के बच्चे भी तरक्की करेंगे।" तब बच्चों ने सवाल पूछा की आखिर ये होगा कैसे?? लड़के ने जवाब दिया जो भी मैंने पुस्तकालय में सीखा है। मैं वो सब कुछ तुम्हें सिखाऊंगा। तुम सब मुझे बता दो की तुम लोग बनना क्या चाहते हो?? बच्चों ने अपने-अपने सपने लड़के को बता दिए। अब लड़का रोज़ पुस्तकालय जाता और बच्चों के जरूरत की सारी जानकारी एक किताब में लिख लेता और वापस आकर बच्चों को वो सब कुछ सिखाता जो उसने अपनी किताब में लिखा है। अब वह लड़का अपना साथ साथ गांव के उन बच्चों के सपनों के लिए भी मेहनत कर रहा था। कुछ सालों में ही उस लड़के ने सिर्फ अपना ही नही बल्कि उन सभी बच्चों का भी ये सब देखकर लड़के के उसी दोस्त ने पूछा - "तेरा सपना तो एक महान लेखक बनने का था तो तूने इन बच्चों पर अपना वक्त बर्बाद क्यों कर रहा है ?" लड़का ने अपने दोस्त से कहा - तू समझा नहीं, "मैंने सपना देखा था एक बड़ा लेखक बनकर अपने गांव का नाम रौशन करूंगा।" और जब मैंने सब को अपने सपने के बारे में बताया था तब सब ने कहा था कि मुझसे नही हो पाएगा क्योंकि मैं छोटे से गांव में रहता हूं। आज देखना इस छोटे से गांव के बच्चे ही अपने सपने पूरे करके इस छोटे से गांव के नाम को बहुत बड़ा बना देंगे और देखना जब ये सफलता हासिल कर लेंगे तो इनकी सफलता की कहानी मैं खुद लिखूंगा तब मैं भी एक बड़ा लेखक बन जाऊंगा और तब मेरा सपना भी साकार हो जायेगा।
उस लड़के ने अगले ही दिन पुस्तकालय जाकर देखा तो वहाँ पर अनगिनत किताबें थी और तो और वहाँ एक दम शांति और हर कोई बस किताबें ही पढ़ रहा था। वो लड़का बहुत खुश हुआ जैसे मानो उसके मन की मुराद पूर्ण हो आगयी हो। अब वो हर रोज़ वहाँ जाता और किताबें पढ़ता, जिससे उसके लिए अब कुछ भी करना मुश्किल नही था। एक दिन पुस्तकालय से लौटते वक्त उसने गांव के कुछ बच्चों को देखा जो की उसको देखकर बहुत खुश हो रहे थे लड़के ने बच्चों से पूछा तुम लोग आखिर इतना खुश क्यों हो..? तब उनमें से एक बच्चा बोला की भईया आप किताबें पढ़ने और अपने सपने को पूरे करने के लिए इतना दूर जाते हो और आप थकते भी नही... ? आप देखना जब हम बड़े हो जायेंगे तो हम भी अपने सपने पूरे करने के लिए उस अनोखी जगह जाएंगे जहां से आपने इतना ज्ञान पाया है अब आपको सफलता मिल कर ही रहेगी। वह लड़का हंसकर बोला सही कहा तुमने मैं अपना सपना ज़रूर पूरा करूंगा, लेकिन क्या तुम्हे पता भी है की सपना क्या है?? बच्चों ने कहा नही हमें नही पता तब लड़के ने बताया "मैं अपने इसी गांव को शहर की तरह बनाना चाहता हूँ जैसे शहर में लोग पढ़ते-लिखते हैं और तरक्की करते हैं वैसे ही हमारे गांव के बच्चे भी तरक्की करेंगे।"
तब बच्चों ने सवाल पूछा की आखिर ये होगा कैसे?? लड़के ने जवाब दिया जो भी मैंने पुस्तकालय में सीखा है। मैं वो सब कुछ तुम्हें सिखाऊंगा। तुम सब मुझे बता दो की तुम लोग बनना क्या चाहते हो??
बच्चों ने अपने-अपने सपने लड़के को बता दिए। अब लड़का रोज़ पुस्तकालय जाता और बच्चों के जरूरत की सारी जानकारी एक किताब में लिख लेता और वापस आकर बच्चों को वो सब कुछ सिखाता जो उसने अपनी किताब में लिखा है। अब वह लड़का अपना साथ साथ गांव के उन बच्चों के सपनों के लिए भी मेहनत कर रहा था। कुछ सालों में ही उस लड़के ने सिर्फ अपना ही नही बल्कि उन सभी बच्चों का भी ये सब देखकर लड़के के उसी दोस्त ने पूछा - "तेरा सपना तो एक महान लेखक बनने का था तो तूने इन बच्चों पर अपना वक्त बर्बाद क्यों कर रहा है ?"
लड़का ने अपने दोस्त से कहा - तू समझा नहीं, "मैंने सपना देखा था एक बड़ा लेखक बनकर अपने गांव का नाम रौशन करूंगा।" और जब मैंने सब को अपने सपने के बारे में बताया था तब सब ने कहा था कि मुझसे नही हो पाएगा क्योंकि मैं छोटे से गांव में रहता हूं। आज देखना इस छोटे से गांव के बच्चे ही अपने सपने पूरे करके इस छोटे से गांव के नाम को बहुत बड़ा बना देंगे और देखना जब ये सफलता हासिल कर लेंगे तो इनकी सफलता की कहानी मैं खुद लिखूंगा तब मैं भी एक बड़ा लेखक बन जाऊंगा और तब मेरा सपना भी साकार हो जायेगा।
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