Bhartiya Parmapara

भारतीय परम्परा की प्रथम वर्षगांठ

भारतीय परम्परा की प्रथम वर्षगांठ

"भारतीय परम्परा" की है आज प्रथम वर्षगांठ | स्वतंत्रता सेनानियों से है जिंदगी में आजादी का ठाठ ||

त्यौहार, संस्कृति, रीति रिवाज और इतिहास है हमारा आधार । जो भारत के गौरव को बढ़ाएगा देश विदेश में अपरंपार ||

अपने खून से सींच उन्होंने आजादी का बीज बोया है । ना जाने किस-किस मां ने सरहद पर अपने लाल को खोया है ।।

जो भारत माता की जय जयकार करते अपनी जान पे खेल गए । वो ना जाने गुलामी की बेड़ियों के कितने ताले खोल गए ||

हम ने तो आज उन्हें वीरों और शहीदों के रूप में संजोया है। लेकिन उस बच्चे से पूछो जो पहली बार भी बिन पिता के रोया है ।।

हर जाति धर्म को पनाह दे हमारा भारत "विश्व गुरु" कहलाया है । हम भारत हमारे भाव भारत इसी को "भारतीय परम्परा" में सजाया है ||

क्यों कहते हैं सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा । क्योंकि भारतीय परम्परा कर्म और भारतीयता धर्म है हमारा ||

लेखिका - निमिषा जी राठी



    

 

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