Bhartiya Parmapara

शंखनाद

भारतीय संस्कृति में शंख ध्वनि को शुभ व मंगल सूचक माना गया है। ऋषि श्रृंग ने लिखा है कि छोटे-छोटे बच्चों के शरीर पर छोटे-छोटे शंख बांधने तथा शंख में जल भरकर अभिमंत्रित करके पिलाने से वाणी दोष नहीं होता है। बच्चा स्वस्थ रहता है। पुराणों में शंख को चन्द्रमा और सूर्य के समान ही देवतुल्य माना गया है। मान्यता है कि शंख के मध्य में वरुण, पृष्ठ भाग में ब्रह्मा और अग्र भाग में गंगा और सरस्वती विराजती है। समुद्र मंथन से प्राप्त चौदह रत्नों में शंख का आठवां स्थान था। उच्च कोटि के शंख कैलाश मानसरोवर, मालद्वीप, लक्षद्वीप, श्रीलंका व भारत में पाये जाते हैं। शंख कई प्रकार के होते हैं। प्रत्येक शंख का भिन्न-भिन्न महत्व है। सम्पन्नता, सुख, समृद्धि, आत्मशांति और पर्यावरण तथा वायुमंडल के शुद्धिकरण में भी शंख की महिमा मानी गयी है। महाभारत काल में तो प्रत्येक योद्धा का अपना शंख होता था। ‘पांचजन्य’ कृष्ण का और ‘देवदत्त’ अर्जुन का शंख था। ऐसी मान्यता है कि जिस परिवार में इसकी पूजा की जाती है, वह परिवार सदा सुखी और सम्पन्न रहता है। आसुरी शक्तियाँ इससे काफी दूर रहती है।

दक्षिणावर्ती शंख - इसका मुंह दांयी ओर खुलता है। यह शंख सामान्यतः सफेद रंग का ही उपलब्ध होता है। मातेश्वरी लक्ष्मी को यह शंख प्रिय है, क्योंकि दोनों का जन्म समुद्र से हुआ है। अतः शंख लक्ष्मी का सहोदर भाई भी है।

मोती शंख - यह गोल आकार का होता है। इसमें एक सफेद धारी होती है जो ऊपर से नीचे तक खींची होती हैं। यह मोती की तरह चमकदार होता है। स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि से यह शंख दक्षिणावर्ती शंख से भी अधिक प्रभावकारी है। रात भर इस शंख में रखे हुए पानी से यदि त्वचा धोयी जाये तो त्वचा सम्बन्धी सारे रोग कुछ दिनों में समाप्त हो जाते हैं। यदि त्वचा पर सफेद दाग हो तो शंख को पानी में बारह घंटे रखें। उस पानी को कुछ दिनों तक लगाते रहने से सफेद दाग नष्ट हो जाते हैं। रात भर इस शंख में पानी रखें ओर सुबह इसमें थोड़ा गुलाब जल डाल कर बालों को धोने से बालों की सफेदी थम जाती है।

मध्यवर्ती शंख - जो बीच में अंगुली डालकर पकड़ा जाता है तथा जिस शंख का मुँह मध्य भाग में होता है उसे मध्यवर्ती शंख कहते हैं।

वामावर्ती शंख - जो शंख बांये हाथ से पकड़ कर बजाया जाता है, वह वामावर्ती शंख कहलाता है। शंख और भी प्रकार के होते हैं यथा- गोमुखी, लक्ष्मी, कामधेनु, विष्णु, देव, चक्र, सुघोष, मणिपुष्पक, शनि, राहु, केतु, शेषनाग, राक्षस, कच्छप आदि।

शंख के अन्य लाभ - श्वाँस और फेंफड़ो के रोग दूर करने के लिए प्रतिदिन शंख बजाना लाभप्रद है। शंख में केल्शियम व फास्फोरस की मात्रा होती है। इसमें गन्धक का गुण व्यास है। इसीलिये इसमें जल भरकर रखते हैं। शंख ध्वनि जहां तक प्रसारित होती है वहां तक के रोगाणु नष्ट हो जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार शंख के पानी से पेट के कीड़े नष्ट होते हैं। शंख की भस्म से कई प्रकार की औषधियां निर्मित होती है। नियमित शंख बजाते रहने से खांसी, दमा, पीलिया, ब्लड-प्रेशर तथा हृदय सम्बधी रोगों से छुटकारा मिल जाता है। शंख में पंच तत्वों का संतुलन बनाये रखने की अपार क्षमता होती है। पुराणों में लिखा है कि मूक एवं श्वाँस रोगी हमेशा शंख बजाये तो बोलने की शक्ति पा सकते हैं। ह्नदय रोग के लिए यह रामबाण औषधि है। ब्रह्यवैवर्त पुराण के अनुसार शंख में जल भरकर रखने और उस जल से पूजन सामग्री धोने और घर में छिड़कने से वातावरण शुद्ध होता है। तानसेन ने प्रारम्भ में शंख बजाकर ही गायन शक्ति प्राप्त की थी।

वैज्ञानिकों के अनुसार शंख ध्वनि से वातावरण शुद्ध होता है। इसकी ध्वनि के प्रसार क्षेत्र तक सभी कीटाणुओं का नाश हो जाता है। इस संदर्भ में अनेक प्रयोग परीक्षण भी हुए हैं। इसलिए मंदिरों में आरती के पश्चात शंखनाद किया जाता है।

आयुर्वेद के अनुसार शंखोदक भस्म से पेट की बीमारियाँ पीलिया, यकृत, पथरी आदि रोगी ठीक होते हैं। आधुनिक विज्ञान के अनुसार शंख बजाने से हमारे फेंफड़ो का व्यायाम होता है श्वाँस संबंधित रोगों से लडने की शक्ति प्राप्त होती है। पूजा के समय शंख में भरकर रखे गए जल को सभी पर छिड़का जाता है क्योंकि शंख के जल में कीटाणुओं को नष्ट करने की अद्भुत शक्ति होती है। साथ ही शंख में रखा पानी पीने से हमारी हड्डियां और दांत स्वस्थ रहते हैं। शंख में कैल्शियम फास्फोरस और गंधक के गुण होते हैं, जो उसमें रखे जल में आ जाते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके प्रभाव से सूर्य की हानिकारक किरणें नष्ट होती है। इसलिए सुबह शाम शंख बजाने का विधान किया गया है।

डॉ.जगदीश चन्द्र बसु के अनुसार इसकी ध्वनि जहाँ तक जाती है वहाँ तक व्याप्त बीमारी के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। इससे पर्यावरण शुद्ध हो जाता है। शंख में गंधक फास्फोरस और कैल्शियम जैसे उपयोगी पदार्थ होते हैं जिससे इसमें मौजूद जल सुवास्ति और रोगाणु रहित हो जाता है। इसलिए इसे शास्त्रों में महा औषधि माना जाता है। नियमित शंख बजाकर आप खांसी, दमा, पीलिया, ब्लड प्रेशर, या दिल से सम्बन्धित बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं। शंखनाद से 
सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जिससे आत्मबल में वृद्धि होती है। शंख से मुख के तमाम रोगों का नाश होता है। शंख बजाने से चेहरे, श्वसनतन्त्र, श्रवणतन्त्र, तथा फेंफड़ो का व्यायाम होता है। शंखवादन से स्मरण शक्ति भी बढती है। अतः हमें नियमित सुबह-शाम शंख वादन करना चाहिए।


- डॉ. दिनेश कुमार गुप्ता, प्रवक्ता, अग्रवाल महिला शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, गंगापुर सिटी,  (राज.)  

    

      

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