Bhartiya Parmapara

मिच्छामि दुक्कडम्

क्षमा प्रार्थना✍️ 
दुनिया में सभी लोग जुड़े हुए है, एक दूसरे से, किसी न किसी तरह,
चाहते है सभी मिलजुल कर रहना, पर मिलना और बिछड़ना लगा रहता है, भागती हुई ज़िंदगी में किसी न किसी तरह,
चाहते हुए भी एक दूसरे को,जाने अनजाने ग़लती कर जाते है ज़्यादातर लोग किसी न किसी तरह,
कब कैसे भुल चूक हों जाती है अचानक से समझ भी नहीं पाते है, किसी न किसी तरह,
जैन धर्म के इस क्षमा याचना के महान दिन को दिल से बार बार नमन है,
क्योंकि यहाँ अहंकार छूता भी नहीं बड़े से बड़े लोगों को भी,
सभी का एक दूसरे को क्षमा कर देना, मन के बोझ को हल्का करके 
शांति के मार्ग पर चलने का यह बहुत ही ख़ूबसूरत तरीक़ा है,
आज क्षमापना के पावन अवसर पर दिल से जुड़े हुए सभी लोगों से 
दिल से की गई गुस्ताखी के लिये 
क्षमा चाहती हूँ,
जुड़े रहेंगे हमेशा एक दूसरे से ऐसे ही, यूँही हाथ पक़डकर एक दूसरे का,
हर सुख दुःख को पार करना है, अधिकार है मुझे माफ़ी माँगने का 
अपार ग़लतियाँ कर जाती हूँ 
स्वीकार कर लीजियेगा मेरी इस 
क्षमा प्रार्थना को दिल से यही चाहती हूँ। 
🙏मिच्छामि दुक्कडम् 🙏



 

 

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