
75 बरस की आजादी का अमृत महोत्सव और हम
जैसा सभी प्रबुद्ध पाठक जानते हैं 15 अगस्त, 2022 को देश की आजादी के 75 साल पूरे होने जा रहे हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए 75वीं वर्षगांठ से 75 सप्ताह पूर्व यानि 12 मार्च, 2021 से आजादी का अमृत महोत्सव पूरे देश में मनाया जा रहा है। सरकार ने इस अमृत महोत्सव के लिये निम्न पाँच सूत्र जारी किये हैं–
1] आजादी का अमृत महोत्सव यानी आजादी की ऊर्जा का अमृत।
2] आजादी का अमृत महोत्सव यानी स्वाधीनता सेनानियों से प्रेरणाओं का अमृत।
3] आजादी का अमृत महोत्सव यानी नए विचारों का अमृत।
4] आजादी का अमृत महोत्सव यानी नए संकल्पों का अमृत।
5] आजादी का अमृत महोत्सव यानी आत्मनिर्भरता का अमृत।
अब जहाँ तक आजादी की ऊर्जा का अमृत वाली बात हैं, तो उसका अनुभव तो हमें अपने छुटपन से ही है यानि जब हम विद्यालय में पढ़ते थे, तब 23 जनवरी को कलकत्ते के हर गली में सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पूरे सम्मान, आदर व उमंग और उत्साह से मनाते थे। उसी क्रम में विद्यालय में गणतंत्र दिवस हो या स्वतन्त्रता दिवस पर राष्ट्र ध्वज फहराने वाले कार्यक्रम पश्चात सीधे रेड रोड की तरफ परेड अवलोकनार्थ भाग जाते थे, ताकि समय पर पहुँच ठीक से परेड देख पायें। आज भी हम अपने मोहल्ले के समीप पार्क के अलावा नजदीकी विद्यालय में झंडारोहण पर हाजिर हो सभी को प्रोत्साहित करने में हमेशा आगे रहते हैं साथ ही साथ इस ढलती उम्र के कारण हम तो परेड देखने नहीं जाते हैं परन्तु बाकी सभी को परेड देख आने के लिये प्रेरित अवश्य करते ही हैं और तो और और छोटे- छोटे समूह बना भेज देने का बंदोबस्त भी कर देते हैं।
अब जब स्वाधीनता सेनानियों से प्रेरणाओं का अमृत वाली बात हैं, तो उसकी हमें अपने छुटपन से ही आदत है यानि हम अपने बचपन के दिनों से ही मोहल्ले में राष्ट्र ध्वज फहराने वाले कार्यक्रम में न केवल भाग लेते, बल्कि हर साल पहले से निश्चित किये हुए एक स्वतंत्रता सेनानी पर चर्चा वाले आयोजन को सफल बनाने में अपना योगदान देते रहे हैं। इस तरह का आयोजन बड़े, बुजुर्ग व विद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षकों के मार्ग दर्शन में आयोजित होता था।
उसमें उन स्वतंत्रता सेनानी के विषय में बहुत कुछ जानने को मिलता था। मैं भी हमेशा पूरी तैयारी के साथ उस परिचर्चा में अपनी हिस्सेदारी निभाता था। इस तरह बीते सालों की तरह आज भी आजादी के महत्व को पूरी निष्ठा से निभाने की चेष्टा जारी है यानि आज भी हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों की गाथायें हर प्रकार के माध्यम से सभी के बीच पहुचाने का न केवल प्रयास करते हैं बल्कि राष्ट्रवाद के प्रति समर्पित रहने के लिये प्रेरित करते रहते हैं। अब नए विचारों का अमृत वाले तथ्य पर मेरा ऐसा मानना है कि हम अवकाश प्राप्त लोगों का दायित्व है कि युवाओं को हम शिक्षित करें। ध्यान दे लें कि यहाँ शिक्षित का मतलब उन्हें पढ़ाना लिखाना से नहीं हैं बल्कि उन्हें सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं की पूरी पूरी सही जानकारी से अवगत कराने से है ताकि वे 21वीं सदी की प्रौद्योगिकी संचालित व्यवस्थाओं पर आधारित बुनियादी ढांचा का भरपूर लाभ उठा कर अपने नये नये विचारों के अनुरूप सरकार की योजनाओं का लाभ लें और समाज व देश की प्रगति में अपना योगदान दें।
इसी तरह नए संकल्पों का अमृत वाले तथ्य पर हमारा यह दायित्व बनता है कि हम आतंकवाद और राजनीतिक तुष्टिकरण पर जो लोग हमारे संविधान का गलत लाभ उठाते हुए हमारी प्राचीन मान्यताओं और संस्कृति पर चोट पर चोट किए जा रहे हैं, आतंकवाद को राजनीतिक संरक्षण दिये जा रहे हैं उन सभी की मानसिकता को उजागर करते रहने के साथ साथ प्रजातांत्रिक स्वरूप को बनाए रखने के लिए अपनी सकारात्मक भूमिका अदा करते रहें। हम अपने से छोटों को हमेशा यह समझाते रहते हैं कि 'हमें ऐसा कोई भी काम नहीं करना है जिसके चलते देश की छवि जरा सी भी धूमिल हो'।
इसी क्रम में सरकार ने “स्वच्छ भारत अभियान” शुरू किया हुआ है जिसके तहत एक प्रचारक के रूप में इसका हिस्सा बनकर हम अपने साथियों को दैनिक कार्यों में से कुछ घंटे निकालकर भारत में स्वच्छता संबंधी कार्य करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं ताकि कचरा मुक्त वातावरण बना पायें। देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्वच्छ भारत का निर्माण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसलिये आसपास की सफाई के अलावा सभी साथियों की सहभागिता से अधिक-से-अधिक पेड़ लगाना, शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराकर एक स्वच्छ भारत का निर्माण करना है क्योंकि अस्वच्छ भारत की तस्वीरें भारतीयों के लिए अक्सर शर्मिंदगी की वजह बन जाती है। इसलिए स्वच्छ भारत के निर्माण एवं देश की छवि सुधारने में हम सभी का एक सकारात्मक भूमिका निभाना पावन कर्तव्य है।
यहाँ यह भी उल्लेख आवश्यक है कि हमारी सरकार विश्व स्तरीय खिलाड़ी तैयार करने के लिए पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी से संगठित एवं संचालित योजनाएं एवं कार्यक्रम बनाकर खिलाड़ियों को प्रोत्साहित कर रही हैं। इस तरह न केवल खिलाड़ी बल्कि अन्य लोग भी जो खेलों से जुड़े हैं वे अपना अपना योगदान देश को गौरवान्वित करने में दे रहे हैं। इसी तरह हम में से जिनकी रुचि खेलों में है वे खेलों को माध्यम बना देश को गौरवान्वित करने में अपना योगदान दे सकते हैं। भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ठीक इसी तरह के दृढ़ संकल्प की जरूरत है। चूंकि हमारा देश आबादी के हिसाब से विश्व में दूसरा स्थान रखता है इसलिये आत्मनिर्भर भारत के लिये यह आबादी हमारी ऊर्जा का स्रोत है। इसलिये यह आवश्यक है हमारी मांग एवं आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) की ताकत का उपयोग पूरी क्षमता से किया जाना चाहिये यानि हमारे द्वारा उत्पादित सभी वस्तुओं की मांग बढ़ाने के साथ-साथ इसे पूरा करने के लिए आपूर्ति श्रृंखला के सभी हितधारकों के बीच सामंजस्य को मजबूत बनाये रखना सरकार के साथ हम सभी की जिम्मेदारी है।
अन्त में आत्मनिर्भरता का अमृत वाले तथ्य पर भी हमारा यह दायित्व बनता है कि हमारी सरकार ने बेरोजगारी दूर करने के लिये यानि युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिये जो जो योजनायें चालू की हैं, उन योजनाओं की पूरी पूरी सही जानकारी सभी तक न केवल पहुँचायें बल्कि उन योजनाओं का लाभ उठाने के लिये प्रेरित भी करें।
यह सर्वविदित है कि विश्व की उभरती आर्थिक ताकत के रूप में उभर रहा हमारा देश प्रगति के पथ पर अग्रसर है। लिखने का यह मतलब है कि भारत में विदेशी पूंजी निवेश बढ़ रहा है। देश इंफ्रास्ट्रक्चर और सेवा-सुविधाओं के मामले में आगे बढ़ रहा है। यह सब नागरिकों द्वारा चुकाये जाने वाले टैक्स से ही तो सम्भव हो रहा है। इसलिये जैसा हम हमेशा चर्चा में सुनते हैं कि हमारे यहाँ बेशुमार कालाधन है तो उस ओर भी हम सभी को सजग रहना है और ऐसे घूसखोर लोगों का पर्दाफाश करते रहना है। उपरोक्त उल्लेखित के अलावा और भी ऐसे अनेकों क्षेत्र हैं जहाँ हमें अपनी सकारात्मक भूमिका, स्वयं की सुविधा, समय का ध्यान रख, निभाने का पूरा पूरा प्रयत्न करते रहना है ताकि हम हमारे देश को सच्चे अर्थों में एक महान देश बनाने में अपना ज्यादा से ज्यादा योगदान दें सकें।
याद रखें सच्चे नागरिक को अपने देश से ही नहीं बल्कि उससे जुड़ी हर वस्तु से प्यार होता है और उसके प्रति समर्पित भाव होता है। हमें भी अपनी मातृभूमि के लिए कुछ भी कर गुजरने की तमन्ना रखनी चाहिये क्योंकि अच्छे, ईमानदार व कर्मठ नागरिक ही देश को शक्ति संपन्न, समृद्ध व संगठित बनाते हैं। याद रखें एक आदर्श नागरिक स्वेच्छा से अनुशासन का पालन ही नहीं करता है बल्कि वह देश के कायदों व कानूनों का पूरी पूरी निष्ठा से निर्वहन भी करता है। कानून को बनाए रखने में सरकार की सहायता करता है। हमें बिना स्वार्थी हुए राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को समझना चाहिए क्योंकि यह हम नहीं, अन्य लोग हैं, जो पीड़ित व लाभार्थी दोनों हैं। अब मैं आप सभी प्रबुद्ध पाठकों का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ उस वाक्य की ओर जो 12 मार्च, 2021 को 'आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के उद्घाटन पर प्रधानमंत्री ने देश के नाम अपने सारगर्भित संबोधन में श्रीमद्भागवत गीता में प्रभु श्री कृष्ण द्वारा कहे गये - ‘सम-दुःख-सुखम् धीरम् सः अमृतत्वाय कल्पते’ अर्थात्, जो सुख-दुःख, आराम चुनौतियों के बीच भी धैर्य के साथ अटल, अडिग और सम रहता है, वही अमृत को प्राप्त करता है, अमरत्व को प्राप्त करता है।
अन्त में यही बताना चाहता हूँ कि उपरोक्त मंत्र से प्रेरणा लेकर हम सभी इस अमृत महोत्सव समय के दौरान भारत के उज्ज्वल भविष्य का अमृत प्राप्त करने में अवश्य सफल हो पायेंगे। याद रखें भारत जब आत्मनिर्भर बनेगा तभी विश्व को नई दिशा दिखा पायेगा। इसलिये मैं सभी प्रबुद्ध पाठकों से निवेदन करता हूँ, आइये, हम सब दृढ़संकल्प होकर इस राष्ट्र यज्ञ में अपनी अपनी भूमिका निभाने का भरपूर प्रयास करें।
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