
धर्म शब्द "धृ" धातु से बना है, जिसका अर्थ होता है "धारण करना" यानी जो धारण किया जाए वह "धर्म" है। "धारण" करने से यहां अर्थ है, जीवन में धारण करना या जिस पर हमारा जीवन आधारित हो, वही हमारा "धर्म" है।
दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि जिससे हमारा जीवन व्यवस्थित हो सके वही "धर्म" है। जब व्यक्ति आंतरिक विधर्म दशाओं से लौटकर आत्म-दशा, परमात्म-स्थिति और अपने मूल स्वभाव में लौट आता है, तब उसके जीवन में "धर्म" जीवित होता है।
क्रोध हमारा दुश्मन है, लेकिन, हमने उससे आत्मीयता बना ली है, वैर हमारा दुश्मन है, लेकिन, हम वैर-भाव में ही जी रहे हैं। लोभ हमारे जीवन का सबसे बड़ा पाप है, लेकिन, हर पल हम लोभ कर रहे हैं, तृष्णा हमारे जीवन की दुखांतिका है, लेकिन, तृष्णा हमें घेर चुकी है।
आचार्य देव ने कहा कि - हे मानव!! जीवन में जो क्रोध, काम, कषाय, मान, माया, लोभ और तृष्णा की विधर्म दशाएँ हैं, इन सबका परित्याग करके अगर तू परमात्मा की शरण में लौट आता है, तो तू "धर्म" को आत्मसात कर लेगा।
"धर्म" मनुष्य के जीवन का सबसे बड़ा मंगल है, अहिंसा, संयम और तप उसके लक्षण हैं, जिसका मन सदा "धर्म" में रमा रहता है, उसे देव भी नमस्कार करते हैं। "धर्म" तो जीवन की सुगन्ध है, दिव्यता को पाने का सोपान है। किसी को न सताना, आत्मनियंत्रण रखना और अनुकूल-प्रतिकूल हर परिस्थिति में समत्वशील रहना, बस यही है "धर्म" का सार, "धर्म" का स्वरूप, "धर्म" का जीवन और "धर्म" का मर्म है।
"धर्म" वह यात्रा है, जहाँ व्यक्ति किसी लीक पर नहीं चलता वरन् वह अपना रास्ता स्वयं खोजता है। अपना जीवन "धर्म" के मार्ग पर प्रशस्त करें।
हे परमात्मा!!
"धर्म" हमारे जीवन की रोशनी बने, प्रेरणा बने और सुख-शांति पूर्वक जीवन जीने का आधार बने। सबका जीवन शांत और सुख से बीते और सभी अपने जीवन को धर्म से साधने का प्रयास करें, यही ईश्वर से प्रार्थना है।
धन्यवाद...!
Login to Leave Comment
LoginNo Comments Found
संबंधित आलेख
पूर्णिमा का महत्व | पूर्णिमा व्रत
सप्ताह के किस दिन करें कौन से भगवान की पूजा | सात वार का महत्व
महा मृत्युंजय मंत्र का अर्थ, उत्पत्ति और महत्व | महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय रखें इन बातों का ध्यान | Maha Mrityunjaya Mantra
हिंदी भाषा से जुड़े रोचक तथ्य
मंदिर शब्द की उत्पत्ति कब हुई | मंदिर का निर्माण कब से शुरू हुआ?
तुलसी जी कौन थी? कैसे बनी तुलसी पौधे के रूप में ? | तुलसी विवाह
हिंदी वर्णमाला की संपूर्ण जानकारी | हिंदी वर्णमाला
अच्युत, अनंत और गोविंद महिमा
निष्कामता
हर दिन महिला दिन | Women's Day
33 कोटि देवी देवता
हिंदू संस्कृति के 16 संस्कार
हिंदी दिवस
शिक्षक दिवस
राखी
बचपन की सीख | बच्चों को लौटा दो बचपन
बात प्रेम की
महामाया मंदिर रतनपुर | संभावनाओ का प्रदेश - छत्तीसगढ़ | मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का ननिहाल
माँ बमलेश्वरी मंदिर | संभावनाओ का प्रदेश - छत्तीसगढ़
माँ चंद्रहासिनी मंदिर | संभावनाओ का प्रदेश - छत्तीसगढ़
खल्लारी माता मंदिर | संभावनाओ का प्रदेश - छत्तीसगढ़
भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहते थे | भारत देश
विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस | World Menstrual Hygiene Day
ज्योतिष शास्त्र | शनि न्याय प्रिय ग्रह क्यों है ?
वास्तु शास्त्र | वास्तुशास्त्र का उदगम
वास्तुशास्त्र में पूजा कक्ष का महत्व
पंचवटी वाटिका | पंचवटी का महत्व स्कंद पुराण में वर्णित
कृतज्ञता
ज्योतिष की विभिन्न विधाये और राजा सवाई जयसिंह (जयपुर) का योगदान
संस्कारों की प्यारी महक
मिच्छामि दुक्कडम्
सत्संग बड़ा है या तप
ब्रह्मांड के स्वामी शिव
बलिदानी - स्वतंत्रता के नायक
महामृत्युंजय मंत्र | महामृत्युंजय मंत्र जाप
राम राज्य की सोच
भारतीय वैदिक ज्योतिष का संक्षिप्त परिचय
भारतीय वैदिक ज्योतिष का प्रचलन
मैच बनाने की मूल बातें (विवाह और ज्योतिष)
कुंडली मिलान | विवाह के लिए गुण मिलान क्यों महत्वपूर्ण है?
कुंडली चार्ट में घरों की बुनियादी समझ
सनातन संस्कृति में व्रत और त्योहारों के तथ्य
सनातन संस्कृति में उपवास एवं व्रत का वैज्ञानिक एवं धार्मिक पक्ष
2 जून की रोटी: संघर्ष और जीविका की कहानी
प्रकृति की देन - पौधों में मौजूद है औषधीय गुण
प्री वेडिंग – एक फिज़ूलखर्च
दो जून की रोटी
गणेश जी की आरती
भारतीय परम्परा की प्रथम वर्षगांठ
नव वर्ष
नहीं कर अभिमान रे बंदे
आज का सबक - भारतीय परंपरा
चाहत बस इतनी सी
नारी और समाज
माँ तू ऐसी क्यों हैं...?
दर्द - भावनात्मक रूप
पुरुष - पितृ दिवस
मितव्ययता का मतलब कंजूसी नहीं
सावन गीत
आया सावन
गुरु पूर्णिमा - गुरु की महिमा
सार्वजानिक गणेशोत्सव के प्रणेता लोकमान्य तिलक
शास्त्रीजी की जिन्दगी से हमें बहुत कुछ सीखने मिलता है | लाल बहादुर जयंती
कन्याओं को पूजन से अधिक सुरक्षा की जरूरत है ...!
जीवन में सत्संग बहुत जरूरी है
धर्म - धारण करना
आलस्य (Laziness)
प्रतिष्ठित शिक्षक - प्रेरक प्रसंग
राष्ट्र का सजग प्रहरी और मार्गदृष्टा है, शिक्षक
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है?
लेखक के अन्य आलेख
आलस्य (Laziness)
धर्म - धारण करना
योग की ख़ूबसूरती
कृतज्ञता
निष्कामता