
गर्मी की छुट्टियां लगते ही अनु का मन बचपन के गलियारों में पहुंच जाता। मायके में कितनी निश्चिंतता रहती है यह सोचते हुए उसके मुख पर मुस्कान बिखेर गई और मॉं के हाथ का बना भोजन पाने उसका मन ललचा उठा। दूसरे ही क्षण पापा के न रहने का गम उसे भीतर तक कचोट रहा था उनके रहते उस घर पर उसे अधिकार सा लगता किंतु अब न जाने क्यों उसके अंतस में वह उन्मुक्तता नहीं थी।
विचारों के मंथन को मोबाइल की घंटी ने विराम दिया जैसे ही फोन उठाया भैया ने कहां "छुट्टियां लगने से पंद्रह दिन हो चुके तुम अब तक पहुँची नहीं, मैंने अपनी भावनाओं को संयमित करते हुए बहाना बनाया भैया रिजर्वेशन नहीं मिले बस सात आठ दिन में पहुंचने का प्रयास करती हूँ, तभी भैया ने कहा तुम रहने दो मैं ही तुम्हारे और दीदी के तत्काल में रिजर्वेशन कर रहा हूं कहते हुए भैया ने फोन रखा और मेरा अश्रु बांध फुट पड़ा।" भैया अपनी व्यस्ततम जीवन शैली के चलते भी हमें याद कर रहे इस सोच से जो आंतरिक खुशी मिली उसे बयां करना संभव नहीं था। झट से बड़ी दीदी को फोन लगाया और कहा भैया हमारे टिकट भेज रहें हैं जल्द ही हमारा मिलना होगा कहते हुए दोनों खुशी से खिलखिला उठी।
रात सोने से पहले जब मोबाइल में पीहर जाने का टिकट देखी तो खुशी आसमान छू रही थी। मन में चल रहे उहापोह से झट किनारा किया और बैग जमाने लगी बैग जमाते हुए पतिदेव को न जाने कितनी ही हिदायतें दे रही थी। दूसरे दिन दोपहर में ट्रेन में बैठी, नियत समय पर ट्रेन कोलकाता पहुंची अपने समक्ष भैया भाभी को देखकर खुशी से आंसू छलक आये। मॉं बरामदे में खड़े हो इंतजार ही कर रहीं थी। मुझे देख नाराज हो कहने लगी इस बार तुमने आने में विलंब कर दिया राघव रोज तुम्हें याद कर रहा था बातों बातों में रात कब गहरा गई पता ही नहीं चला। मॉं ने भैया भाभी से कहा तुम दोनों सो जाओ तुम्हें तो सुबह जल्दी उठना पड़ता है। हम दोनों बहनों के मनोभाव मॉं भांप चुकी थी कहने लगी बेटी तुम्हारी तरह ही राघव ने भी अपने पापा को खोया है उसके कंधों पर भी बहुत सी जिम्मेदारियां हैं वह किससे अपेक्षा रखे...?
आज ही तुम्हें स्टेशन लेने आया था तो वह ऑफिस नहीं जा पाया बेटी तुम्हें अपने पीहर से दूरी बनाने के बजाए उसका सहारा बनना चाहिए। मन में उठ रही शंकाओं का समझदारी से निवारण करना चाहिए बेटी, रिश्ते वहीं रहते हैं दूरियां मन उत्पन्न करता है, मेरे उपरांत तुम्हारे भाई भाभी से ही तुम्हारा पीहर आबाद रहेगा। अधिक अपेक्षा दुखों को जन्म देती है और परिस्थितियों की गंभीरता को समझ नहीं पाती। भाभी से भी मित्रवत व्यवहार करोगी तो स्नेह ही पाओगी। बेटी तुम्हारे आने से इस घर का हर कोना खिल उठता है। मॉं की समझाइश का दोनों बहनों के विचारधारा पर सकारात्मक प्रभाव हुआ। दूसरे दिन भाभी के साथ साथ ही दोनों बहनें उठ गई और उन्हें काम में हाथ बटाने लगी पलक झपकते दिन कैसे बीत गए पता ही नहीं चला विदाई के समय भाभी मॉं की तरह ही हमारे साथ न जाने कितने ही चीज़े बांध रही थी और हमारा मन उनके प्रेम का अमूल्य उपहार पाकर भारी हो रहा था।
Login to Leave Comment
LoginNo Comments Found
संबंधित आलेख
यात्रा
महिला सशक्तिकरण
तमाशा
उपहार
शिक्षा जीवन का आधार
कन्या पूजन
खुशबू
ह्रदय परिवर्तन
सच्चे मित्र - संघर्ष, दोस्ती और शिक्षा की प्रेरक कहानी
एक चुटकी गुलाल - लघुकथा
दुआ - लघुकथा
अपेक्षा - एक लघुकथा
सावन की सौगात
दोस्त – एक प्रेरणादायक कहानी सच्ची दोस्ती और आत्मविश्वास की | भारतीय परंपरा
पितृपक्ष की एक भावनात्मक कथा | Pitru Paksha
खुशियों के दीप – उम्मीद और संघर्ष की एक भावनात्मक दीपावली कहानी
परीक्षा डयुटी | शिक्षकों की परीक्षा में भूमिका
आभूषण | माँ-बेटी के रिश्ते और जीवन के सुंदर संदेश की कहानी | Adornment
भ्रष्टाचार
क्षितिज तक
बड़ा लेखक
महकते रिश्ते
जीवन सार : प्रेरणादायक कहानी
अलविदा मेरे प्यारे बेटे
देसी बीज
समर्पण
प्रेम की जीत
बदलता कैडर
युग परिवर्तन
परवरिश - माँ के आत्मचिंतन की कहानी
माँ अभी जिंदा है - कहानी
बालकथा - माँ का दर्द
लघुकथा : हार-जीत
वो नाश्ता (That Breakfast)
निर्णय (The Decision)
दिशा (Direction)
बांसुरी के बोल - राधा, गोपियाँ और बांसुरी का भावपूर्ण संवाद
राधा की प्रेम-साधना – एक अद्वितीय समर्पण
बच्चों को लौटा दो बचपन – आधुनिक पालन-पोषण पर एक विचारणीय कहानी
लेखक के अन्य आलेख
बच्चों को लौटा दो बचपन – आधुनिक पालन-पोषण पर एक विचारणीय कहानी
दिशा (Direction)
कन्याओं को पूजन से अधिक सुरक्षा की जरूरत है ...!
परवरिश - माँ के आत्मचिंतन की कहानी
समर्पण
डोर विश्वास की : रक्षाबंधन
महकते रिश्ते
भ्रष्टाचार
आभूषण | माँ-बेटी के रिश्ते और जीवन के सुंदर संदेश की कहानी | Adornment
खुशियों के दीप – उम्मीद और संघर्ष की एक भावनात्मक दीपावली कहानी
पितृपक्ष की एक भावनात्मक कथा | Pitru Paksha
दोस्त – एक प्रेरणादायक कहानी सच्ची दोस्ती और आत्मविश्वास की | भारतीय परंपरा
सावन की सौगात
अपेक्षा - एक लघुकथा
दुआ - लघुकथा
एक चुटकी गुलाल - लघुकथा
ह्रदय परिवर्तन
खुशबू
कन्या पूजन
शिक्षा जीवन का आधार
उपहार
महिला सशक्तिकरण
बचपन की सीख | बच्चों को लौटा दो बचपन
यात्रा