
निशा अखबार में आज कुछ नई खबर आई है क्या जो इतनी आंखें गड़ाए पढ़ रही हो। कुछ नया नहीं है निखिल, पता नहीं हमारे देश का क्या होगा हर तरफ बस भ्रष्टाचार की खबरें पढ़ने मिलती।
हॉं, निशा तुम सही कह रही हो। निशा कामवाली शांताबाई पर बरस पड़ी, समय देखा है शांताबाई! आज आने में इतनी देर क्यों कर दी तुमने चलो फटाफट झाड़ू पोछा कर दो। मुझे साहब के साथ बाहर जाना है। अरे मेमसाब राशन लाने कंट्रोल पर गए थे वहां लंबी कतार लगी थी हमारा समय भी गया और नंबर आने तक पता चला आज का राशन खत्म हो चुका है, अब कल फिर जाना होगा।
यानी कल फिर तुम छुट्टी करोगी, अब तुमने तीन छुट्टी से अधिक छुट्टी की तो मैं तुम्हारे रुपए काट लूंगी शांताबाई। निशा बाई को डांट फटकार कर निखिल के पास गई और कहने लगी "देखो जी हम तो राशन की दुकान पर जाते अच्छे नहीं लगेंगे आपकी पोस्ट के हिसाब से यह सब अच्छा नहीं लगेगा"।
निशा हमें जाना ही क्यों है यह सुविधा सरकार ने जरूरत मंद लोगों के लिए कर रखी है।
आपकी बात सही है निखिल लेकिन कंट्रोल के चावल से इडली, डोसा बड़े अच्छे बनते है और शक्कर लाने में भी कोई हर्ज नहीं। राशन वाले भाई साहब आपके मित्र ही तो है, आपके एक फोन से वह चावल और शक्कर घर पर ही भेज देंगे जरा फोन तो करो।
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