Bhartiya Parmapara

महिला सशक्तिकरण

सुनो जी आज तुम पिंकी को स्कूल से ले आना और ठीक चार बजे उसे डांस क्लास छोड़ आना। आज जागतिक महिला दिवस है मुझे दो जगह महिला सशक्तिकरण पर भाषण देने जाना है इसलिए आज के सारे काम तुम्हें ही देखने होंगे कहते हुए विभा ने रसोई वाली को फोन लगाया। "समय देख रही हो कांता तुम्हें कल ही जता जताकर कह दिया था आज सुबह जल्दी आ जाना खाना बनाने, मुझे तैयार करने के लिए पार्लर वाली भी आ चुकी और तुम्हारा कोई अता-पता नहीं कहते हुए वह झल्लाने लगी।"

मेमसाब आप तो जानती हैं मेरे पति को जब से लकवा हुआ है घर बाहर सारी ज़िम्मेदारी मेरे ऊपर आन पड़ी है। आज स्कूल में बेबी की मैडम ने बुला लिया तो पहले वहां चली गई बस कुछ ही देर में आती हूॅं।  
नहीं कांता कोई जरूरत नहीं है अब आने की तुम्हारा रोज ही कुछ न कुछ रहता है कहते हुए उसने फोन‌ पटक दिया। 
विभा ने अपने पति से कहा सुनिए आज आप ऑफिस में ही लंच ले लेना और पिंकी को भी पीज़ा खिला देना कहते हुए विभा ने पार्लर वाली को कमरे में बुलाया और तैयार होने लगी आज भाषण देने जाना था इसलिए साड़ी से लेकर गहने तक सब कुछ नया था। 
कांता बाई अपने दायित्वों का बोझ लादे हुए नए घर की तलाश में निकल चुकी थी उसे भाषण देना तो नहीं आता किंतु सशक्तिकरण की परिभाषा को समझें बिना ही जैसे वह उसे सार्थक कर रही थी।



    

 

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