Bhartiya Parmapara

गुरु पूर्णिमा - गुरु की महिमा

१. 
गुरु विहीन 
मानव जीवन 
ऊर्जा विहीन।

२. 
यदि तू नहीं 
तो कुछ भी नहीं है 
हे गुरुवर!

३. 
जीवन नैया 
उतारे भव पार 
गुरु खिवैया।

४. 
मिटे अज्ञान 
हो जाए आत्मज्ञान 
गुरु दे ज्ञान।

५. 
कैसे चुकाए 
गुरु-ज्ञान का मोल? 
है अनमोल।

६. 
निशान मिले 
गुरु के चरणों के 
मंजिल मिले।

७. 
गुरु-दर्शन 
दृष्टि समक्ष हुए 
चारों ही धाम।

८. 
गुरु की दृष्टि 
करती बेड़ा पार 
पूरा विश्वास।

९. 
शीश झुकाया 
गुरु के चरणों में 
ईश को पाया।

१०. 
समय तो क्या 
भाग्य भी पलट दे! 
गुरु की कृपा।

११. 
तिमिर हटा 
गुरु से मंत्र मिला 
धन्य जो हुआ।

१२. 
ज्ञान कराती 
उचित-अनुचित का 
गुरु की वाणी।

१३. 
दीपक जले 
घोर तिमिर हटे 
गुरु जो मिले।



    

 

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