हिंदू धर्म में 33 कोटि देवी देवताओं का वर्णन है। परंतु 33 कोटी का अर्थ 33 करोड़ नहीं बल्कि 33 उच्च कोटि (प्रकार) के देवी देवता। देव अर्थात दिव्य गुणों से युक्त, जिनमें 12 आदित्य, 11 रूद्र, 8 वसु और 2 अश्विनी कुमार है।
# 12 आदित्य - 12 आदित्य हमें हमारे सामाजिक जीवन के 12 भागों एवं वर्ष के 12 माह के विषय में दर्शाते हैं। जैसे -
1) शक / इंद्र - नेतृत्व का प्रतीक है।
2) अंश / अंशुमान - हिस्सा
3) आर्यमान - श्रेष्ठता
4) भाग / भग - धरोहर
5) धत्री - अनुष्ठान कौशल
6) वस्त्र / त्वष्टा - शिल्पा कौशल
7) मित्र - मित्रता
8) रवि / पूषण - समृद्धि
9) सवित्र / पर्जन्य - शब्दों में छिपी हुई शक्ति
10) सूर्य / विवस्वान - सामाजिक कानून
11) वरुण - भाग्य
12) वामन/ विष्णु - ब्रह्मांड कानून।
# 11 रूद्र - उपनिषदों में भगवान रूद्र के 11 रूपों को शरीर के 10 महत्वपूर्ण ऊर्जा स्त्रोत मानने के साथ ही 11वे को जीवात्मा माना गया है। शिवपुराण, शैवागम एवं श्रीमद् भागवत में 11 रूद्र के अलग-अलग नाम है ।
शिव पुराण - कपाली, पिंगल, भीम विरुपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, अहिर्बुधन्य, शंभू, चण्ड और भव
शैवागम - शंभू, पिनाकी, गिरीश, स्थाणु, भर्ग, सदाशिव, शिव, हर , शर्व, कपाली और भव
श्रीमद् भागवत - मनु, मन्यु, शिव, महत, ॠतुध्वज, महिनस, उम्रतेरस, काल, वामदेव, धृतध्वज और भव
11 रूद्र हमारे शरीर के अव्यय को दर्शाते हैं जिनमें 10 इंद्रिय जैसे प्राण, अपान, व्यान, समान, उडान, नाग, कुर्म, किरकल, देवदत्त, धनंजय और 11वां (आत्मा) जीवात्मा है । इनके शरीर से निकल जाने पर मनुष्य की मृत्यु हो जाती है और तब बाकी लोग रोते (रुदन करते) हैं, इसीलिए रुद्र कहे जाते हैं।
# 8 वसु - 8 वसु प्रकृति के विभिन्न भागों का प्रतिनिधित्व करते हैं । प्रजा को बसाने वाले याने पालन करने वाले हैं ।
1) अनिल - वायु
2) आपस - जल
3) द्योस - अंतरिक्ष या आकाश
4) धरा - पृथ्वी
5) ध्रुव - ध्रुव तारा या स्थिरता
6) अनल - अग्नि
7) प्रभास - अरुणोदय या सूर्योदय
8) सोम - चंद्रमा
# 2 अश्विनी कुमार -
1) नासत्य,
2) द्स्त्र ऋग्वेद में उनका संबंध रात्रि और दिवस के संधि काल से किया गया है। इसलिए इन्हें 'दिन और रात' के प्रतीक कहते हैं।
इस तरह से 33 कोटि देव कोई और नहीं बल्कि हमारे सामाजिक जीवन के भाग, प्रकृति के विभिन्न भाग, शरीर के अव्यय एवं दिन और रात मिलाकर 33 प्रकार की दिव्य शक्तियों को हम भगवान मानते हैं।
कुछ हिंदूओं के साथ-साथ अनेक ऐसे लोग हैं जो अज्ञानता वश भगवान का मजाक उड़ाते हैं । जिनको हमें छाती ठोक कर यह बताना चाहिए की वह 33 कोटी देव कोई और नहीं तो जिन शक्तियों पर हम जीते हैं, जो हमें प्राण दान देते है, जिनके बल पर हम सामाजिक निर्वहन करते हैं वही है। ब्रह्मा - विष्णु - महेश भी उसी में बसते हैं।
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