Bhartiya Parmapara

राखी

आज मैंने अपने दोनो बेटों से, एक दूसरे को राखी बँधवाई हैं,
एकदूजे के रक्षा एवं सुरक्षा की क़सम भी दिलवाई हैं।
समझाना चाहती हूँ उनको बस इतना, 
जितना भी हम छोड़ जाएँगे, उतना मिल-जुल के संजोना हैं,
सभी रिश्तों के साथ साथ, अपना रिश्ता भी बख़ूबी निभाना हैं। 
चाहे रहे वो दूर दूर, सुख दुःख में पास ही रहना हैं,
अपनी पूरी निष्ठा से, एक दूजे का साथ निभाना हैं।
आज मैंने अपने दोनो बेटों से, एक दूसरे को राखी बँधवाई हैं।

 



 

 

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