Bhartiya Parmapara

शास्त्रीजी की जिन्दगी से हमें बहुत कुछ सीखने...

वैसे तो अनेकों ऐसे वाकये हैं जिससे हँसमुख स्वभाव वाले शास्त्रीजी की सादगी के अलावा कर्मठता, सरलता, स्पष्टवादिता, नियमबद्धता, दृढ़निश्चयता वगैरह स्पष्ट झलकती है। लेकिन अब मैं यहाँ एक ऐसा वाकया प्रस्तुत कर रह हूँ जिससे भारतीय संस्कृति की श्रेष्ठ पहचान रखने वाले शास्त्रीज...

कन्याओं को पूजन से अधिक सुरक्षा की जरूरत है ....

क्यों ‌लग जाता है अंकुश उनके हसीन ख्वाबों पर ? 
नवरात्रि का पर्व भारतभर में आस्था का दीप प्रज्वलित कर जाता है। घर-घर में पूजा अर्चना, धार्मिक अनुष्ठान होते है, एक दिन कन्याओं को देवी स्वरूप मान पूजन कर हम अपने दायित्वों से मुक्त हो जाते है। यह देवी स्वरूप...

प्रतिष्ठित शिक्षक - प्रेरक प्रसंग

एक 50 वर्षीय प्रतिष्ठित शिक्षक अपने ८५ उम्र पा चुके पूर्व शिक्षक के बारे में ज्ञात होते ही, बिना विलंब किए, उनसे पाँव-धोक करने के साथ-साथ कृतज्ञता ज्ञापित करने पहुँचे। लेकिन उसको वो शिक्षक महोदय पहचान ही नहीं पाये। फिर भी उसे प्यार से बैठाया और पीठ पर हाथ फेरते हुए कह...

राष्ट्र का सजग प्रहरी और मार्गदृष्टा है, शिक्...

शिक्षक, राष्ट्र का सजग प्रहरी, मार्गदृष्टा और भविष्य निर्माता भी है। शिक्षक माटी को मनचाहा आकार देकर सुंदर घड़ों का निर्माण करते हैं, यानि देश का भविष्य गढ़ते हैं। शिक्षक उस मोमबत्ती के समान है जो ख़ुद जलकर के दूसरों को प्रकाश देती है। शिक्षक हमें अंधेरे से ज्ञान के प्र...

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है?

कई बातें ऐसी हैं जो कही नहीं जाती, कई किस्से ऐसे हैं जो दोहराए नहीं जाते, कई घटनाएं ऐसी हैं जो देखी नहीं जाती और कई चित्र ऐसे हैं जो कभी भुलाए नहीं जातेl आखिर ऐसा क्यों हैं कि आखिर जिन बातों को हम कहना चाहे तो कहने की हिम्मत नहीं हैं या फिर किसी को फुरसत नहीं हैं, आखि...

दो जून की रोटी

गोल-गोल रोटी जिसने पूरी दुनिया को अपने पीछे गोल-गोल घुमा रखा है। यह रोटी कब बनी यह कहना थोड़ा मुश्किल है पर हाँ, जब से भी बनी है तब से हमारी भूख मिटा रही है। आज दो जून की रोटी की बात करते है, अक्सर कहा जाता है कि हमें दो जून की रोटी भी नसीब नहीं हो रही। दो जून की रोटी...

प्री वेडिंग – एक फिज़ूलखर्च

शादी फिक्स होते ही लोगों का सबसे पहला सवाल– "प्री वेडिंग हो गई?"
हो गई तो अच्छी बात है नहीं हुई तो क्यों नहीं हुई? आजकल तो सभी करवा रहे हैं। इस आधुनिक युग में ये सब आम बात है, अरे भाई! शर्माना कैसा? आप बस तैयारी शुरू करो। आपको एक बहुत अच्छे फोटोग्राफर और प्लेस (स्थान) बताने की जिम्मेदारी...

2 जून की रोटी: संघर्ष और जीविका की कहानी

2 जून की रोटी कैसे लोग रोज़मर्रा की अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं। संघर्ष और जीविका की उन कठिनाइयों और चुनौतियों को उजागर करता है जो आम इंसान को दो वक्त की रोटी जुटाने में सामना करना पड़ता है। '2 जून की रोटी' एक आम कहावत है, जिसका मतलब है,...

प्रकृति की देन - पौधों में मौजूद है औषधीय गुण

पर्यावरण पर गलत प्रचलनों पर विचार करें तो सबसे पहले धरती के वातावरण के तापमान में लगातार हो रही विश्वव्यापी बढ़ोतरी को रोकने में हम भारतवासी पहल कर विश्व के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं। हमें अपनी खेतीबाड़ी में संयम बरतना चाहिये और उचित तो यही रहेगा कि हमसब अब...

सनातन संस्कृति में व्रत और त्योहारों के तथ्य

हिंदू संस्कृति में पशु पक्षी वनस्पति जीव जंतु प्रकृति नदियां शैल शिखर सभी से आत्मीय संबंध जोड़ने का प्रयास किया था। व्रत उपवास और भारतीय त्योहार हमारी संस्कृति के मूल आधार है यही कारण है कि हमारी संस्कृति में अपना महत्वपूर्ण और विशेष स्थान रखते हैं। भारत ही एक ऐस...

सनातन संस्कृति में उपवास एवं व्रत का वैज्ञानि...

भारत में उपवास एवं व्रत विशेष महत्व रखते हैं तथा इन्हें रखने की परंपरा साधु-संतों, ऋषि-मुनियों से लेकर ब्रह्मचारी तथा गृहस्थ नर-नारियों में बहुत पुरानी है। सनातन संस्कृति में इन्हें आध्यात्मिक उन्नति और बेहतर शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए तथा ग्रहों को अनुकूल...

राम राज्य की सोच

राम-राज्य यानी सुशासन का प्रताप ये है कि कोई किसी का शत्रु नहीं है, सभी जन मिल-जुलकर रहते हैं। सामान्य जनमानस शारीरिक, मानसिक और दैविक विकारों से मुक्त हो चुका है। सभी स्वस्थ हैं, राम-राज्य में किसी की अल्प मृत्यु नहीं होती। कोई निर्धन नहीं, कोई दुखी नहीं, कोई अशिक्षि...

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