Bhartiya Parmapara

विज्ञान दिवस और हमारे वैज्ञानिक

भारत में विज्ञान दिवस हर वर्ष 28 फरवरी को मनाया जाता है। मनाया भी क्यों न जाए क्योंकि 28 फरवरी 1928 को भारत के वैज्ञानिक सर सी.वी. रमन ने 'रमन प्रभाव' की महत्वपूर्ण खोज की थी।इसी खोज के लिए 1930 में उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया या यूं कहें भारत को विज्ञा...

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस – नारी शक्ति को सला...

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: नारी शक्ति का उत्सव 
हर वर्ष 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है, जो महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक योगदान को सम्मान देने का दिन है। यह दिवस न केवल महिलाओं के अधिकारों और समानता की बात करता है, बल्क...

क्या हमारे कार्य करने की कोई सीमा होती है?

क्या हमारे कार्य करने की कोई सीमा होती है? इसका सही-सही उत्तर देना शायद संभव न हो लेकिन हम जितना सोचते हैं उससे कहीं अधिक मुश्किल और असंभव लगने वाला कार्य भी कर सकते हैं।

एक बार एक किसान अपने फ़ार्म हाउस पर काम कर रहा था। तभी उसका ब...

सहनशीलता का गिरता स्तर और समाज पर इसके हानिका...

सहनशीलता का गिरता स्तर- समाज के लिए हानिकर

आज भौतिकतावाद, एकाकी परिवार और पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में सहनशीलता शनैः शनैः क्षीण होती जा रही है। है। इस समस्या के मूल में मूल्यों की अवमानना/ स्वार्थपरता की बढ़ती प्रवृत्ति/माता-पित...

कुंबकोणम के शक्ति मुत्तम मंदिर और गरीब पंडित...

तमिलनाडु के कुंबकोणम नामक शहर की तीन किलोमीटर की दूरी पर एक गांव का नाम है-शक्त्ति मुत्तम यानि शक्ति का चुंबन। यहां भगवान शिव का एक पुरातन मंदिर है। यहां के ईश्वर का नाम है शिवक्कोळंदु नादर और देवी का नाम है पेरियनायकी। इस मंदिर की देवी पार्वती की मूर्ति परमेश्वर को आ...

भारत के शहरी क्षेत्रों में वाहन पार्किंग की च...

यह ज़रूरी नहीं है कि अच्छा सार्वजनिक परिवहन यातायात की भीड़ को काफ़ी कम कर दे। भीड़भाड़ की स्थिति में सुधार करने के लिए, शहरों को निजी कारों के स्वामित्व और उपयोग के कार्यात्मक, मनोवैज्ञानिक और सांस्कृतिक मूल्यों को लक्षित करने वाली गतिविधियों के साथ ही अपनी सार्वजनिक...

दुविधा – अनुभव और अस्वीकार्यता के बीच की दूरी

एक नए पड़ाव से शुरू हुई यात्रा फिर अगले पड़ाव की ओर उत्सुकता से देखती है। अनदेखे को देख लेने और अनजाने को जान लेने की इस लालसा में हम साल-दर-साल बीतते चले जाते हैं। पता भी तब चलता है जब हमें बीते हुए एक अरसा गुजर चुका होता है। बढ़ते बच्चों की बढ़ती काया और बदलते चले जाते...

शास्त्रीजी की जिन्दगी से हमें बहुत कुछ सीखने...

वैसे तो अनेकों ऐसे वाकये हैं जिससे हँसमुख स्वभाव वाले शास्त्रीजी की सादगी के अलावा कर्मठता, सरलता, स्पष्टवादिता, नियमबद्धता, दृढ़निश्चयता वगैरह स्पष्ट झलकती है। लेकिन अब मैं यहाँ एक ऐसा वाकया प्रस्तुत कर रह हूँ जिससे भारतीय संस्कृति की श्रेष्ठ पहचान रखने वाले शास्त्रीज...

कन्याओं को पूजन से अधिक सुरक्षा की जरूरत है ....

क्यों ‌लग जाता है अंकुश उनके हसीन ख्वाबों पर ? 
नवरात्रि का पर्व भारतभर में आस्था का दीप प्रज्वलित कर जाता है। घर-घर में पूजा अर्चना, धार्मिक अनुष्ठान होते है, एक दिन कन्याओं को देवी स्वरूप मान पूजन कर हम अपने दायित्वों से मुक्त हो जाते है। यह देवी स्वरूप...

रावण की हड़ताल: दशहरा विशेष व्यंग्य

सोटागुरु का खैनी बनाने का अंदाज ही जुदा है। उनकी अदा पर लाखों फ़िदा हैं। सोटागुरु के खैनी बनाने का अंदाज उस समय बेइंतहा हो जाता है जब सिर पर पगड़ी बधी हो और मूछे नागिन डांस करती हों। उनकी खैनीवाली अदा के लाखों दीवाने हैं। 

प्रतिष्ठित शिक्षक - प्रेरक प्रसंग

एक 50 वर्षीय प्रतिष्ठित शिक्षक अपने ८५ उम्र पा चुके पूर्व शिक्षक के बारे में ज्ञात होते ही, बिना विलंब किए, उनसे पाँव-धोक करने के साथ-साथ कृतज्ञता ज्ञापित करने पहुँचे। लेकिन उसको वो शिक्षक महोदय पहचान ही नहीं पाये। फिर भी उसे प्यार से बैठाया और पीठ पर हाथ फेरते हुए कह...

राष्ट्र का सजग प्रहरी और मार्गदृष्टा है, शिक्...

शिक्षक, राष्ट्र का सजग प्रहरी, मार्गदृष्टा और भविष्य निर्माता भी है। शिक्षक माटी को मनचाहा आकार देकर सुंदर घड़ों का निर्माण करते हैं, यानि देश का भविष्य गढ़ते हैं। शिक्षक उस मोमबत्ती के समान है जो ख़ुद जलकर के दूसरों को प्रकाश देती है। शिक्षक हमें अंधेरे से ज्ञान के प्र...

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