Bhartiya Parmapara

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धनतेरस: समृद्धि का नहीं, संवेदना का उत्सव

धनतेरस: समृद्धि का नहीं, संवेदना का उत्सव

धनतेरस का अर्थ केवल ‘धन’ नहीं बल्कि ‘ध्यान’ भी है — ध्यान उस पर जो हमारे जीवन को सार्थक बनाता है। यह त्योहार हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि समृद्धि का असली अर्थ क्य...

स्वास्थ्य के लिए आंसू क्यों ज़रूरी हैं

स्वास्थ्य के लिए आंसू क्यों ज़रूरी हैं

रोना भी स्वास्थ्य रक्षक सिद्ध हुआ है, जाने कैसे–? 
स्वस्थ जीवन के लिए हंसना बहुत जरूरी है, तो रोग निरशन के लिए रोना भी आवश्यक है। इस आधुनिक जीवन की भागम-भ...

नवरात्रि में कोलू/गोलू: परंपरा और आधुनिकता का संगम

नवरात्रि में कोलू/गोलू: परंपरा और आधुनिकता का संगम

भारत की सांस्कृतिक धारा में नवरात्रि का पर्व एक विशेष स्थान रखता है। जहाँ पूर्वी भारत में दुर्गा पूजा का भव्य आयोजन होता है, वहीं दक्षिण भारत में यह उत्सव अपनी आध्यात्म...

छला समर्पण | परिवार, संवेदना और अवमूल्यन की कथा

छला समर्पण | परिवार, संवेदना और अवमूल्यन की कथा

घर के आँगन में पीपल का पुराना पेड़ खामोशी से खड़ा था। उसकी छाँव में खेलते हुए बीते साल जैसे किसी पुराने संदूक में बंद पड़े थे। इस घर की दीवारों ने न जाने कितनी कहानियाँ...

दक्षिण भारत में रक्षाबंधन का बदलता स्वरूप

दक्षिण भारत में रक्षाबंधन का बदलता स्वरूप

मैं एक दक्षिण भारतीय ब्राह्मण परिवार में जन्म लिया और मेरा जन्मस्थान जयपुर, राजस्थान है। जहाँ एक ओर मैंने उत्तर भारत की रक्षाबंधन की जीवंत परंपरा को महसूस किया, वह...

चलिष्याम निरंतर | जोखिम, परिवर्तन और सफलता का संबंध

चलिष्याम निरंतर | जोखिम, परिवर्तन और सफलता का संबंध

आज प्रतिस्पर्धा का दौर हैं और समय ने तेज़ी से करवट बदली है। प्रतिस्पर्धा के चौड़े मैदान में आगे की राह उसी को मिलती हैं जो निरंतर चलना जानता है। ठहराव का विकल्प लक्ष्य...

सच कहने का साहस है.. सलीका है कविता

सच कहने का साहस है.. सलीका है कविता

कविता, पद्य की सबसे खूबसूरत विधा है और दिल तक पहुँचने की सबसे अच्छी अभिव्यक्ति भी। कविता तुकांत और अतुकांत दो तरह से लिखी जा सकती है। बातचीत की खूबसूरत अभिव्यक्ति ही कव...

पहलगाम हमला: जब इंसानियत को धर्म से तोला गया

पहलगाम हमला: जब इंसानियत को धर्म से तोला गया

पहलगाम की गोलियाँ: धर्म पर नहीं, मानवता पर चली थीं 
कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुआ आतंकी हमला सिर्फ एक गोलीबारी नहीं थी—यह एक ऐसा खौफनाक संदेश था जिस...

श्रम बिकता है, बोलो... खरीदोगे?

श्रम बिकता है, बोलो... खरीदोगे?

श्रम बिकता है, बोलो ..... खरीदोगे..? (ऐसा बाजार जहां रोज लगता है मेहनतकशों का मेला) 
भारत में जिस गति से जनसंख्या बढ़ रही है उतनी ही गति से बेरोजगारी भी बढ़ी है...

अहंकार का अंधकार | व्यक्तित्व और समाज पर प्रभाव

अहंकार का अंधकार | व्यक्तित्व और समाज पर प्रभाव

अहंकार एक ऐसी मानसिक प्रवृत्ति है, जो व्यक्ति को अपनी श्रेष्ठता का अनुभव कराती है और दूसरों से खुद को ऊँचा दिखाने के लिए उसे हर कदम पर प्रेरित करती है। यह ऐसा भाव है, ज...

विश्व नींद दिवस : डिसऑर्डर, सप्लीमेंट्स और स्वस्थ नींद के प्रभावी सुझाव

विश्व नींद दिवस : डिसऑर्डर, सप्लीमेंट्स और स्वस्थ नींद के प्रभावी सुझाव

नींद का मनुष्य के जीवन में एक महत्वपूर्ण पक्ष है। मनुष्य अपने जीवन का एक तिहाई हिस्सा सोते हुए गुजार देता है। नींद में परिवर्तन होने से मनुष्य की, कार्य क्षमता पर भी बहुत प्रभाव पड़ता है। आखिर नींद...

शब्द ही ब्रह्म है क्योंकि शब्दों से ही इस त्रिगुणात्मक संसार का सृजन संभव है

शब्द ही ब्रह्म है क्योंकि शब्दों से ही इस त्रिगुणात्मक संसार का सृजन संभव है

शब्द ही ब्रह्म है क्योंकि शब्दों से ही इस त्रिगुणात्मक संसार का सृजन संभव है!

बृहदारण्यकोपनिषद् में कहा गया है - अहम ब्रह्मास्मि अर...

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