गोल-गोल रोटी जिसने पूरी दुनिया को अपने पीछे गोल-गोल घुमा रखा है। यह रोटी कब बनी यह कहना थोड़ा मुश्किल है पर हाँ, जब से भी बनी है तब से हमारी भूख मिटा रही है। आज दो जून क...
बात प्रेम की .....
बसन्त ऋतु में प्रकृति ने प्रेम की चादर ओढ़ ली, जब प्रकृति ही प्रेममय है तो फिर इस प्रेम से कोई कैसे बचे।
प्रेम, प्यार, उल्फत, मोहब्बत, इश्क व लव
न जाने कि...
यूँ तो सृष्टि के कण-कण में ईश्वर का वास है। लेकिन सूर्य और चन्द्रमा ईश्वर के दिव्यचक्षु सदृश है। जब-जब सूर्य की स्थिति में परिवर्तन होता है, हम प्रभावित होते हैं। ऐसा ह...
आइए भारतीय परंपरा के साथ एक और गौरवशाली परंपरा की बात करते हैं इस देश के उपवन में कई जाति के भिन्न-भिन्न फूल खिले हैं और यह अलग-अलग होते हुए भी सभी एक हैं और सभी एक दूसरे के भावनाओं का सम्मान करते...
28 मई का दिन, स्वच्छता एवं स्वच्छता दिवस पर आप सभी को बधाई
गणगौर मनाने के पीछे एक पौराणिक कहानी है जिसे आज भी हम गणगौर के दिन सुनते हैं। एक बार की बात है शिवजी पृथ्वी लोक पर भ्रमण की बात पार्वती जी से करते हैं। पार्वती जी कहती...
हमारे भारत देश की बात ही अलग है, यहां ऋतु परिवर्तन भी, त्योहारों के आरंभ से होता है। सप्तमी पूजन के लिए नैवेद्य छठ के दिन दही चावल का मिष्ठान (जिसे औलिया कहा जाता हैं)...
जैसा कि हम जानते हैं भारत देश त्योहारों का देश है और हर त्योहार के पीछे कोई न कोई वजह या परंपरा जरूर होती है, मार्च महीना चल रहा हैं, बसंत का आगाज हो चुका है, आम के पेड...
;
©2020, सभी अधिकार भारतीय परम्परा द्वारा आरक्षित हैं।
MX Creativity के द्वारा संचालित है |