Bhartiya Parmapara

गणेश जी की आरती

गणेश जी की आरती: श्री गणेश जी की पूजा में विशेष रूप से गाई जाने वाली आरती। यह आरती सभी विघ्नों को हरने वाले, बुद्धि और समृद्धि के देवता गणेश जी को समर्पित है। गणेश चतुर्थी और अन्य महत्वपूर्ण अवसरों पर गणेश जी की आरती का महत्व अधिक होता है।

ब्रह्मांड के स्वामी शिव

शिव ब्रह्मांड के स्वामी हैं, वे ऊर्जा, शक्ति, स्थिरता और शांति के एकमात्र स्रोत हैं। ब्रह्मांड एक बड़े परमाणु की तरह है और शिव ब्रह्मांड के केंद्र में मौजूद हैं। शिव एक नाभिक हैं, इस परमाणु का एक केंद्रीय हिस्सा हैं, वह इस ब्रह्मांड का भार उसी तरह संभाल रहे हैं जैसे प...

महामृत्युंजय मंत्र | महामृत्युंजय मंत्र जाप

कहते हैं, शिव की आराधना करने से हमारे सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और हमारी जो भी मनोकामनाएं है वह पूरी होती है। हमारे त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, महेश इनके आधार पर ही यह दुनिया चलती है। इनका आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ ना दिखाई देने वाली शक्ति की तरह होता है। जिसका एहसास हमें...

अच्युत, अनंत और गोविंद महिमा

भगवान धन्वन्तरि समुद्र-मंथन के समय हाथ में अमृत कलश लेके प्रकट हुए थे। आरोग्य के देवता माने जाने वाले धन्वंतरि देव भगवान विष्णु के अवतार है। भगवान धन्वंतरि को चिकित्सा के देवता कहा जाता है, उन्होंने देवताओं एवं  ऋषियों को औषधि, रोगो से निदान और उपचार आदि के बारे...

मंदिर शब्द की उत्पत्ति कब हुई | मंदिर का निर्...

भारतीय सनातन धर्म में मन्दिर का विशेष स्थान है। मंदिर शब्द संस्कृत भाषा से बना है। सरल भाषा में हिन्दुओं के उपासनास्थल को मन्दिर कहते हैं। वह देवस्थान जहां अपने आराध्य की पूजा - अर्चना होती है एवं आराध्य देव के प्रति ध्यान या चिंतन किया जा सके उस स्थान को मन्दिर कहते...

33 कोटि देवी देवता

हिंदू धर्म में 33 कोटि देवी देवताओं का वर्णन है। परंतु 33 कोटी का अर्थ 33 करोड़ नहीं बल्कि 33 उच्च कोटि (प्रकार) के देवी देवता। देव अर्थात दिव्य गुणों से युक्त, जिनमें 12 आदित्य, 11 रूद्र, 8 वसु और 2 अश्विनी कुमार है। 12 आदित्य - 12 आदित्य हमें हमारे सामाजिक जीव...

हिंदू संस्कृति के 16 संस्कार

हिंदू संस्कृति में मनुष्य की आयु, आरोग्य, सुख और समृद्धि बढ़ाने के लिए वेदों में 16 संस्कार बताए गए हैं। शरीर, मन और मस्तिष्क को पवित्र करने के लिए यह संस्कार किए जाते हैं।

१) गर्भाधान संस्कार - उत्तम संतान की प्राप्ति के लिए, होने वाले माता-पिता को गर्भाधान से पूर्व अपने तन और मन की पवित...

तुलसी जी कौन थी? कैसे बनी तुलसी पौधे के रूप म...

भगवान कृष्ण के मित्र सुदामा भी गौ लोक में ही रहते है, जो तुलसी से विवाह करना चाहते है पर तुलसी के रोम रोम में तो सिर्फ भगवान ही बसे है। एक बार भगवान की लीला से अभिभूत हो कर सुदामा तुलसी की प्रशंसा कर रहे थे और तुलसी को भी सुनने में अच्छा लग रहा था तभी राधा - रानी ने द...

सप्ताह के किस दिन करें कौन से भगवान की पूजा |...

हिन्दू धर्म में मान्यतानुसार 33 करोड़ देवी-देवताओं का पूजन किया जाता है। इन देवी-देवताओं को विधाता ने मनुष्यों की अलग-अलग मनोकामनाओं को पूरा करने का कार्य सौंपा है। पर सप्ताह के सात दिनों में विशेष देवी-देवताओं का पूजन करने से सांसारिक मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। वै...

पूर्णिमा का महत्व | पूर्णिमा व्रत

हमारे सनातन धर्म और ज्योतिष शास्त्र में तिथियों का विशेष स्थान होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा और अमावस्या की तिथि से माह पूरा होता है। पंचांग के अनुसार साल में 12 पूर्णिमा और 12 अमावस्या आती हैं। हर महीने के 30 दिन को चन्द्र काल के अनुसार 15-15 दिन के दो पक्...

खल्लारी माता मंदिर | संभावनाओ का प्रदेश - छत्...

महाभारत काल में शकुनि ने पांडवों के अंत के लिए लाक्षागृह का निर्माण किया, ताकि पांडवों को उसमें भस्म में किया जा सके, यह जानकारी पाकर विदुर ने पांडवों को सुरंग बनाने के लिए कहा। विदुर के कथनानुसर पांडवों ने सुरंग का निर्माण किया। जब लाक्षागृह दाह हुआ पांडव उसी सुरंग स...

महा मृत्युंजय मंत्र का अर्थ, उत्पत्ति और महत्...

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम | उर्वारुकमिव बंधनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात || 

इस मंत्र में 33 अक्षर है जिसमे महर्षि वशिष्ठ के अनुसार 33 करोड़ देवी - देवता का प्रतीक माना जाता है। इनमें से 8 वसु, 11 रुद्र, 12 आदित्य, 1 प्रजापत...

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