Bhartiya Parmapara

पुरुष - पितृ दिवस

ये पुरुष, जैसे विशाल समंदर का आगाज़
अनंत गहराई उसमें छिपे है कई राज़
छत मेरी, सर पे उसके जिम्मेदारियों का ताज

भावनाओं के किनारों में, ये कभी बंधता नहीं
कभी शांत, कभी उफ़ना के, शांत रहता नहीं
वो अपनी बात, कभी किसी से कहता भी नही

सावन गीत

सावन गीत (आल्हा छंद)
कितना मनभावन है सावन,
बाद एक दूजा त्यौहार।
भोले दूर करें तकलीफ़ें,
ख़ुशियाँ झूमे हर घर द्वार।

चाहत बस इतनी सी

फूल कहाँ माँगे थे मैंने, कब माँगी मँहगीं सौग़ातें,
ये भी कभी नहीं चाहा.. तुम चाँद सितारे ले आते!

कहाँ कभी चाहा मैंने] सोने चाँदी से लद जाना,
या ऊँची ब्रैंडिड गाड़ी में] घूम घूम कर इतराना!

आज का सबक - भारतीय परंपरा

आज जब परंपराओं की बात आती हैं तो हम एक कदम पीछे हटने लगते हैं।

हमसे जब कोई हमारी परंपराओं का जिक्र करने
लगता हैं तो हम निशब्द हो जाते हैं।

क्या यही हमारी भारतीय परंपराओं की पहचान हैं? 

नव वर्ष

नई उमंगें साथ लिए, नव वर्ष अब आया है।

बहुत कठिन था साल पुराना, छायी थी अंधियारी । दुर्भाग्य ने सबको घेर लिया आई थी लाचारी ।। डर, चिंता आतंक ने सबको बहुत सताया है। नई उमंगें साथ लिए, नव वर्ष अब आया है।।1।।

आतंक रूपी कोरोना से, सबको आफत आयी। जाने कितने चले गए, सब देने लगे दुहाई ।। क...

नहीं कर अभिमान रे बंदे

नहीं कर अभिमान रे बंदे, पल का नहीं ठिकाना बंदे ! दुनिया में लालच का मौका, चलती हवा का तेज झोंका, कब कहाँ उड़ा जाये बंदे ! नहीं कर अभिमान रे बंदे, पल का नहीं ठिकाना बंदे !

बचपन माँ की गोदी सोवत, माँ बाप का कर्जदार जगत, उनका कर्ज चुकाना बंदे! नहीं कर अभिमान रे बंदे, पल का नहीं ठिकाना बंदे!<...

भारतीय परम्परा की प्रथम वर्षगांठ

भारतीय परम्परा की है आज प्रथम वर्षगांठ
स्वतंत्रता सेनानियों से है जिंदगी में आजादी का ठाठ
त्यौहार, संस्कृति, रीति रिवाज और इतिहास है हमारा आधार
जो भारत के गौरव को बढ़ाएगा देश विदेश में अपरंपार
अपने खून से सींच उन्होंने आजादी का बीज बोया है
ना जाने किस-किस...

हिंदी दिवस

आज है हिंदी भाषा दिवस, हिंदी भाषा - राष्ट्र भाषा 
नाज़ है हमें अपनी भाषा, अपनी संस्कृति और राष्ट्र पे । 

क्या सच में नाज़ है? गर होता ऐसा, 
ना उड़ाते हम मज़ाक़, ना खिल्ली उड़ाते 
भाषा, भगवान या संस्कृति की । 

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