Bhartiya Parmapara

नहीं कर अभिमान रे बंदे

"नहीं कर अभिमान रे बंदे"

नहीं कर अभिमान रे बंदे, पल का नहीं ठिकाना बंदे ! दुनिया में लालच का मौका, चलती हवा का तेज झोंका, कब कहाँ उड़ा जाये बंदे ! नहीं कर अभिमान रे बंदे, पल का नहीं ठिकाना बंदे !

बचपन माँ की गोदी सोवत, माँ बाप का कर्जदार जगत, उनका कर्ज चुकाना बंदे! नहीं कर अभिमान रे बंदे, पल का नहीं ठिकाना बंदे!

धन- दौलत कमा के जुटाये, बंगला गाड़ी पर इतराये, जब तक सांस का साथ बंदे ! नहीं कर अभिमान रे बंदे, पल का नहीं ठिकाना बंदे !

खूब लालच लिये दौड़ाते, धन-दौलत कमाते- कमाते, कब ठोकर लग जाये बंदे ? नहीं कर अभिमान रे बंदे, पल का नहीं ठिकाना बंदे!

अमृत घट हृदय का खजाना, यही से लिया, यही लुटाना, नये सफर पर जाना बंदे । नहीं कर अभिमान रे वंदे, पल का नहीं ठिकाना बंदे ।

जगत के मेले चार दिन के, फिरत क्यों अहंकार करके, तने- तंबू उठ जाना बंदे। नहीं कर अभिमान रे बंदे, पल का नहीं ठिकाना बंदे। 
 



    

 

Login to Leave Comment
Login
No Comments Found
;
MX Creativity
©2020, सभी अधिकार भारतीय परम्परा द्वारा आरक्षित हैं। MX Creativity के द्वारा संचालित है |