मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का ननिहाल छत्तीसगढ़, प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर हरा भरा, खनिज सम्पदावान प्रदेश छत्तीसगढ़ अपने आप में कई रंग समेटा हुआ है। यहां की परंपरा और संस्कृति को कुछ पृष्ठों में समेटना एक दुरुह कार्य है। छतीसगढ़ का अपना एक प्राचीन धार्मिक इतिहास भी है, जो यहां के सीधे सरल मूल निवासियों पर असर डालता है, यहां आस्था के कई केंद्र है शुरुआत उन्हीं से करना उचित होगा।
महामाया मंदिर रतनपुर, चारों युग की नगरी है इसका वर्णन प्राचीन ग्रंथों में भी है यहां कई मंदिर हैं ५ 1 शक्तिपीठों में से एक महामाया मंदिर यहां है।
दक्ष यज्ञ के समय जब भगवान शिव ब्रह्माँड में व्यथित होकर वितरण कर रहे थे तब यहां माँ का दाहिना स्कंध गिरा था। भगवान शिव ने स्वयं इसे कुमारी शक्तिपीठ का नाम दिया, नवरात्रि में यहां श्रद्धालुओं द्वारा जवारे बोए जाते हैं और ज्योति कलश प्रज्वलित किए जाते हैं कहां जाता है कि यहां माँगी गई हर इच्छा पूर्ण होती है कुंवारी कन्याओं को मनवांछित वर की प्राप्ति होती है।
इस मंदिर के बारे में कथा प्रचलित है कि एक बार महाराजा रतन देव प्रथम शिकार के पश्चात रात्रि विश्राम के लिए मणिपुर नामक गांव में एक वृक्ष पर रुके, अर्ध रात्रि में निंद्रा खुलने पर देखा कि महामाया देवी का दरबार लग रहा है चहुं ओर दिव्य प्रकाश आलोकित हो रहा है, वे चेतना खो बैठे, प्रातः अपनी राजधानी तुम्मा न खोल लौटे रात्रि में माँ ने स्वप्न देख कर वहां मंदिर बनाने को कहा और उस जगह अपनी राजधानी बनाने का आदेश दिया, 10५0 ईस्वी में माता के मंदिर का निर्माण हुआ 1६ स्तंभों पर टीके नगर लिपि में बने मंदिर में महालक्ष्मी और पीछे स्थित श्री विग्रह सरस्वती देवी का है।
वर्तमान मंदिर परिसर के सम्मुख चंडिका तालाब है। कहां जाता है कि पूर्व में यहां दक्षिण मुखी महाकालिका की मूर्ति जी जो महाराजा बहार साय से कुछ गलती होने के कारण कुपित हो कर कोलकाता चली गई, देवी ने राजा से सपने में कहा कि मैं तुम्हारे राज्य से जा रही हूं मेरे विग्रह को मंदिर में चिनवा देना चंडिका कुंड से तुम्हें माता सरस्वती और लक्ष्मी की मूर्ति मिलेगी उसे गर्भ ग्रह में स्थापित करना तुम्हारे राज्य का कल्याण होगा तब से आज तक मंदिर का स्वरूप वैसा ही है, माता के दर्शन के लिए देश विदेश से अनेक भक्त आते हैं नवरात्रि में मेला लगा रहता है। नवरात्रि में माँ के दर्शन का खास फल मिलता है ऐसी मान्यता है।
पहुंच मार्ग-रायपुर हवाई अड्डा,
रायपुर से दूरी 1४1 किलोमीटर,
रेल से बिलासपुर जंक्शन-दूरी २५ किलोमीटर,
दोनों जगह से टैक्सी उपलब्ध रहती है
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