Bhartiya Parmapara

समर्पण

"स्वधा आज स्वयं को परी लोक से उतरी किसी अप्सरा से कम नहीं आंक रही थी, आज कॉलेज में आकर्षण का केंद्र वहीं थी, और पता है दीदी श्रीधर ने आज उसे पूरे सौ गुलाब दिये और कितने ही आकर्षक तोहफे भी और एक उस राहुल को देखो जिसने कहॉं माफ़ करना मीनू आज तो एक गुलाब भी नहीं मिला मैं पहुंचा तब तक सारे ख़त्म हो गए थे, मेरी सभी सहेलियां मुझ पर इतना हंस रहीं थी रूंआसी होती मीनू बोले जा रही थी।" 

हाहाहाहाहा, दीदी अपनी हंसी पर काबू न कर पायी और कहने लगी मीनू तुझे जलन हो रही है क्या? नहीं दीदी पर स्वधा अपने वैलेंटाइन डे के गिफ्ट को लेकर पूरे सहेलियों के बीच चर्चा का विषय थी और एक मैं उपहास का पात्र।" 



  

 

अरे पगली, केवल वैलेंटाइन डे पर गुलाब भेंट देकर आय लव यू कहने से प्रेम की पुष्टि नहीं होती यह तो मात्र दिखावा और आडंबर है। एक दिन गुलाब लेने देने से प्रेम की गहराई को नापा नहीं जा सकता मीनू यह तो अनंत और असीमित भाव है जो महसूस किये जा सकते है यह किसी दिन के मोहताज नहीं होते। तुम शायद भूल गई पर तुमने ही तो बताया था गतवर्ष इसी श्रीधर ने मयुरी को गुलाब दिये थे। मीनू यह श्रीधर के लिए प्रेम क्या लिबास की तरह है जो बदलते रहता है... और तुम्हारी वह स्वधा कितनो से तोहफे लेती है...?

दीदी की बातें सुन मीनू भी हंसने लगी और राहुल को लेकर आश्वस्त हुई, उसे गुमसुम देख दीदी बोली, चल जरा घूम आते है आज वैलेंटाइन डे पर हर सड़क, हर गली-मोहल्ले में प्यार के परिंदे फड़फड़ाते नजर आयेंगे जरा बाहरी दुनिया का नजारा देख आते है। मॉं के बाद दीदी ही मीनू की सब कुछ थी। दोनों बहनें निकली अचानक न जाने कैसे लिफ्ट का दरवाजा बंद हुआ और देखते ही देखते मीनू की तीन उंगलियां कट गई खून की धारा बहने लगी, मीनू के जीजाजी भी ऑफिस के काम से शहर से बाहर गये हुए थे, दीदी पड़ोसियों की मदद से जैसे तैसे अस्पताल पहुंचे डॉक्टर ने इमरजेंसी ऑपरेशन का कहा, हिम्मत जुटाकर दीदी ने राहुल को फोन किया कुछ ही देर में राहुल अस्पताल पहुंचा और सारी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली। ऑपरेशन तो हो गया पर डॉक्टर ने उस हाथ से किसी भी तरह का काम करने के लिए मीनू को मना कर दिया ऐसे गंभीर हालात में राहुल की जगह कोई और होता तो शायद मुँह फेर लेता पर राहुल अपने निर्णय पर अडिग था मीनू ने कहा भी सोचकर निर्णय लेना राहुल...।

वह मुस्कुराकर रह गया निर्णय तो हम बहुत पहले ही ले चुके है मीनू बस इंतजार था प्लेसमेंट का आज वह इंतजार भी पूरा हुआ, मीनू यह खुशखबरी सुन अपना दर्द भूल गई, सच्चा हमसफर पाकर मीनू की कमजोर उंगलियों में जैसे पुनः बल संचारित हो गया और प्रेम की गहराई में वह डूब गई थी राहुल का उसके प्रति समर्पित भाव देखकर गुलाब भी मुस्कुराने लगा और स्वयं को कमतर आंकने लगा।



  

 

Login to Leave Comment
Login
No Comments Found
;
©2020, सभी अधिकार भारतीय परम्परा द्वारा आरक्षित हैं। MX Creativity के द्वारा संचालित है |