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दीपावली पर बच्चों को देश की संस्कृति एवं परंपरा से जोड़ें

दीपावली पर बच्चों को देश की संस्कृति एवं परंपरा से जोड़ें

दीपावली भारत का सबसे बड़ा त्यौहार है। यह हमारी अनूठी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण भाग है। यह त्यौहार है - अंधकार पर प्रकाश की विजय, अज्ञान पर ज्ञान की विजय और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक एवं हर्षोल्लास से उत्सव मनाने का अवसर।

दीपावली पंचदिवसीय पर्व के रूप में प्रार्थना, दावतों, पारिवारिक समारोहों, आतिशबाजी और धर्माथ दान - स्नान के अनुष्ठान से संपन्न होती है।     
दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है।     
       
बच्चों को दीपावली की पौराणिक कहानी सुनाएं –    
दीवाली हिन्दुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक त्यौहार है। इस दिन भगवान राम 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे। उन्होंने राक्षस रावण का वध किया था, उसी की प्रसन्नता में भगवान राम का दीये जलाकर और प्रकाश करके स्वागत किया गया था। इसी दिन वामन अवतार भगवान ने दैत्यराज बलि से तीनों लोकों का राज्य प्राप्त किया था।

बच्चों को बाजार साथ ले जाएं -  
दीपावली की खरीदारी करने के लिए अकेले न जाकर, बच्चों को भी साथ ले जाएं। इससे बच्चों को वहाँ जाकर अच्छा लगेगा और बहुत सी नई जानकारियां भी प्राप्त कर सकेंगे। खील - बताशे, कपड़े, दीये, लाइट्स, मिठाइयाँ और पटाखे आदि उन्हीं से पूछकर खरीदें, तो वे इसमें अधिक सम्मिलित होंगे।

दीवाली के बहाने हम जुड़ते हैं दीयों के साथ, जिसका भारतीय परंपरा से गहरा संबंध है। यद्यपि दीपों का प्रयोग बहुत कम हो गया है, फिर भी कुम्हार द्वारा बनाए गए मिट्टी के दीयों को जलाकर घर को प्रकाशित करने का उत्साह ही अलग होता है। बच्चे  खील - बताशे, बांस और लकड़ी की बनी डोलचियाँ, फूलडालियाँ, मिट्टी की गुल्लक आदि अवश्य खरीदें। दीवाली के अवसर पर ऐसी चीजें सड़क किनारे फुटपाथ पर बिकती हैं। इससे बच्चे ग्रामीणों या पुराने हस्तशिल्पियों की कला से परिचित होंगे और उनसे जुड़ाव बढ़ेगा।

             

               

त्यौहार से जुड़ी एक-एक गतिविधि में सम्मिलित करें - 
 

दीपावली में घर की साफ-सफाई तथा सजाने से लेकर शाम की आरती तक में अपने बच्चों को सम्मिलित करें। मंदिर की सफाई और सजावट का काम उन्हें सौंपें। आवश्यक निर्देश आप उन्हें दे सकते हैं। शाम को आरती में उन्हें सबसे आगे करें और जब दीया जलाएँ तो उन्हें दीया सजाने के लिए कहें। पूजन में ध्वनि का विशेष महत्व है। शंख और घंटानाद न केवल देवों को प्रिय है, अपितु इसकी ध्वनि से बैक्टीरिया नष्ट होते हैं, वातावरण शुद्ध होता है और घर-परिवार को नकारात्मकता ऊर्जा से बचाते हैं। बच्चों को शंख बजाने का अभ्यास करवाना चाहिए। उन्हें माँ लक्ष्मी और गणेश से जुड़ी कहानियों को इस त्यौहार पर सुना सकते हैं और उनकी समझ तथा उनके मन में उठने वाले अनेक प्रश्नों के उत्तर दे सकते हैं। इससे बच्चों की ऊर्जा बढ़ेगी और उनमें खोजी गुणों का विकास होगा। दीया सजाना, रंगोली बनाना, घर की सजावट के सामान तैयार करने में भी उनकी सहायता लें और उनके कार्यों की प्रशंसा अवश्य करें।

पारंपरिक परिधान पहनाएं -    
भारतीय परंपरा का सही अर्थ बच्चे तभी समझ सकेंगे, जब बड़े स्वयं परंपरा का पालन करें। त्यौहार के अवसर पारंपरिक परिधान ही धारण करें तथा बच्चों को भी उसी प्रकार तैयार करें। बेटे कुर्ता-पायजामा और बिटिया सुंदर सा लहंगा चोली पहनें।

बच्चों के साथ त्यौहार मनाएँ -   
कोई भी त्यौहार बच्चों या परिवार के बिना अधूरा है। अपने बच्चों के साथ हँसते-खेलते मनाएं, इससे त्यौहार का आनंद कई गुणा बढ़ जाएगा।

दीपावली में भेंट -उपहारों की खरीदारी करें -    
दीपावली का त्यौहार प्रकृति के प्रति ढेरों संदेश लिये होता है। ऐसे में हमें बच्चों को अपनी खुशियों से पर्यावरण को नुकसान न पहुँचाने की सीख देनी चाहिए तथा उन्हें ईको - फ्रैंडली दीवाली मनाने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी निभाते हुए वे जूट या कपड़े का थैला लेकर बाजार जाएं। प्लास्टिक बैग प्रयोग करने से रोकें। भेंट में ऐसी चीजें देने के लिए चुनें, जो प्रकृति को सहेजने में सहायता करे, जैसे घर के अंदर रखे जाने वाले पौधे, आर्गेनिक चाय, पिगी बैंक, मसाले, पुस्तकें, हस्तशिल्प की बनी सजावटी वस्तुएं आदि। इन उपहारों से बच्चे त्यौहारों से जुड़ाव महसूस कर पाएंगे और त्यौहार उनके लिए मजे के दिन ही नहीं, अपितु वे उससे जीवन के लिए अच्छी सीख ले पाएंगे। बच्चों को किसी गरीब या निराश्रित बच्चे को मोमबत्ती, दीया, मिठाई या कोई उपहार आदि देने के लिए भी प्रेरित करें। इससे वे गरीब बच्चे के मुख पर मुस्कान देखकर सार्थक महसूस करेंगे।

             

               

ईको - फ्रैंडली पटाखे

ग्रीन पटाखों से मनाएं स्वच्छ दीवाली -    
पटाखे दीपावली का हिस्सा नहीं हैं, फिर भी बच्चे से बड़े तक दीपावली के अवसर पर पटाखे अवश्य फोड़ते हैं। कुछ पटाखे बहुत तेज आवाज के होते हैं, जो छोटे बच्चों की सुनने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। पटाखों से निकलने वाला हानिकारक धुआँ बुजुर्ग, छोटे बच्चे तथा पालतू पशुओं को सांस लेने में कठिनाई पैदा कर सकता है। प्रतिवर्ष दीवाली पर बढ़ता वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण चिंता का विषय बन गया है। प्रायः पटाखों से चोट लगने की संभावना बनी रहती है। इसलिए इस दीवाली पर प्रण लें कि शोर वाले पटाखों से दूर रहेंगे। बच्चों के लिए केमिकल वाले पटाखों की जगह ईको - फ्रैंडली पटाखे लाएं। ग्रीन पटाखे दिखने, जलाने और आवाज में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं, लेकिन प्रदूषण कम होता है और ध्वनि प्रदूषण भी कम करते हैं। ग्रीन पटाखों की पैकिंग के ऊपर अलग से होलोग्राम या लेबल को देखकर यह पता चल जाता है। पटाखे छुड़ाते समय बच्चों के साथ किसी बड़े का होना आवश्यक है। अतः ग्रीन पटाखों से सुरक्षित एवं स्वच्छ दीवाली मनाएं, पवित्र - पावन मन से देवी लक्ष्मी और श्रीगणेश का पूजन करें।

सभी को दीपावली की अमित मंगलमय कामनाएँ।

             

               

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