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दीपावली क्यों मनाते हैं? - जानें इसका महत्व और इतिहास

रोशनी का यह त्योहार दीपावली भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है जो अंधकार पर प्रकाश की विजय और समाज में उल्लास, भाई-चारे व प्रेम का संदेश फैलाता है।   

दीपावली (दीप + आवली) शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों 'दीप' अर्थात 'दिया' व 'आवली' अर्थात 'रेखा' या 'श्रृंखला' के मिश्रण से हुई है।  इस उत्सव में घरों के दरवाजो, गलियारों, बाजारों व मंदिरों में दीप प्रज्वलित किया जाता है और रौशनी से सजाया जाता है। जिसकी रौनक बच्चों के साथ साथ हर उम्र के इंसान में देखने को मिलती है।   

भारतवर्ष में दीपावली का आध्यात्मिक, सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक हर दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण स्थान है। दशहरा के बाद सभी को दीपावली का बेसब्री से इंतजार है और त्योहार की तैयारियाँ शुरू कर देते है। दीपावली का त्योहार कार्तिक अमावस्या को होता है, यह 5 दिनों लगातार चलता है। इसका प्रारंभ कार्तिक त्रयोदशी को धनतेरस से होता है, उसके बाद नरक चतुर्दशी या रूप चौदस को छोटी दिवाली से मनाते है, फिर अमावस्या के दिन लक्ष्मी माँ की पूजा करते है, उसके बाद नया साल, अन्नकूट और गोवर्धन पूजा की जाती है, त्योहार का समापन पांचवे दिन भैया दूज से होता है। दीपावली का त्योहार देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है। 

    

      

दीपावली
दीपावली क्यों मनाते है?

भारत देश में त्योहारों का काफी महत्व है, खासकर हिंदू धर्म में कई तरह के त्योहार मनाए जाते हैं। लेकिन दीपावली की रौनक ही अलग होती है। रोशनी से डूबे शहर और गांव बेहद आकर्षित लगते हैं। शास्त्रों में दीपावली मनाने के अलग-अलग कारणों के बारे में बताया गया है। जगत विदित है कि हम लोग दीपावली मनाने का कारण भगवान राम, लक्ष्मण और सीता माता के 14 वर्ष का वनवास समाप्त कर अयोध्या लौटने व समुद्र मंथन द्वारा लक्ष्मी के प्रकट होने को मानते हैं। क्योंकि यह हम बचपन से सुनते आये है लेकिन इनके अलावा शास्त्रों के अनुसार दीपावली का यह त्योहार अलग अलग युगों की महत्वपूर्ण घटनाओं का भी साक्षी रहा है।   

1. लक्ष्मी अवतरण -   
कार्तिक मास की अमावस्या को माता लक्ष्मी समुद्र मंथन द्वारा धरती पर प्रकट हुई थीं। दीपावली के त्योहार को मनाने का सबसे खास कारण यही है। इसलिए आज माँ लक्ष्मी की पूजा करी जाती है तथा माँ लक्ष्मी के स्वागत के लिए हर घर को सजाया संवारा जाता है ताकि‍ माता का आगमन हो और माँ का आशीर्वाद मिले।   

2. भगवान विष्णु द्वारा लक्ष्मी जी को रिहा कराना -   
इस घटना का उल्लेख हमारे शास्त्रों में मिलता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु के पांचवें अवतार (वामन अवतार) ने माता लक्ष्मी को राजा बलि से रिहा करवाया था।   

3. श्री राम जी के वनवास से अयोध्या लौटने पर -   
रामायण के अनुसार इस दिन जब भगवान राम, सीताजी और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास पूर्ण कर अयोध्या वापिस लौटे थे। उनके स्वागत में अयोध्या को दीप जलाकर रौशन किया गया था।   

4. नरकासुर वध -   
देवकी नंदन श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध कर 16000 स्त्र‍ियों को इसी दिन मुक्त करवाया था। इसी खुशी में दीपावली का त्योहार दो दिन तक मनाया गया और इसे विजय पर्व के नाम से जाना गया।   

5. पांडवोंं की वापसी -   
महाभारत के अनुसार जब कौरव और पांडव के बीच होने वाले चौसर के खेल में पांडव हार गए, तो उन्हें 12 वर्ष का अज्ञात वास दिया गया था। पांचों पांडव अपना 12 साल का वनवास समाप्त कर इसी दिन वापस लौटे थे। उनके लौटने की खुशी में दीप जलाकर खुशी के साथ दीपावली मनाई गई थी।

    

      

6. जैन धर्म -   
दीपावली का दिन जैन संप्रदाय के लोगों के लिए भी विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। जैन धर्म इस पर्व को भगवान महावीर जी के मोक्षदिवस के रूप में मनाता है। ऐसा माना जाता है कि‍ कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही भगवान महावीर को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।   

7. सिक्खों की दिवाली -   
सिख धर्म के लिए भी दीपावली बहुत महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन को सिख धर्म के तीसरे गुरु अमरदास जी ने लाल पत्र दिवस के रूप में मनाया था जिसमें सभी श्रद्धालु गुरु से आशीर्वाद लेने पहुंचे थे। इसके अलावा सन् 1577 में अमृतसर के हरिमंदिर साहिब का शिलान्यास भी दीपावली के दिन ही किया गया था। सन् 1619 में सिक्ख गुरु हरगोबिन्द जी को ग्वालियर के किले में 52 राजाओं के साथ मुक्त किया जाना भी इस दिन की प्रमुख ऐतिहासिक घटना रही है। इसलिए इस पर्व को सिक्ख समाज बंदी छोड़ दिवस के रूप में भी मनाता हैं। इन राजाओं व हरगोबिंद सिंह जी को मुगल बादशाह जहांगीर ने नजरबंंद किया हुआ था।   

8. विक्रमादित्य का राजतिलक -   
भारतवर्ष के महान राजा विक्रमादित्य का राजतिलक इस दिन हुवा था, जिससे दीपावली का महत्व और खुशियों दुगुनी हो गईं।   

9. आर्य समाज -   
महर्षि दयानन्द सरस्वती भारतीय संस्कृति के महान जननायक ने दीपावली के दिन अजमेर (राजस्थान) के निकट अवसान लिया और इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की गई थी। इस कारण भी दीपावली का त्योहार विशेष महत्व रखता है।   

10. फसलों का त्योहार –   
खरीफ की फसल के समय ही ये त्योहार आता है जो कि किसानों के लिए समृद्धी और खुशहाली का संकेत होता है। इसलिए दीपावली का त्योहार किसान लोग भी बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं |

    

      

11. हिंदू नव वर्ष का दिन –   
दीपावली के साथ ही हिंदू व्यापारियों का नया साल शुरू हो जाता है और व्यवसायी इस दिन अपने खातों की नई किताबें शुरू करते हैं।  

12. आर्थिक दृष्टिकोण -   
दीवाली का त्योहार भारत में एक प्रमुख खरीदारी की अवधि का प्रतीक है। यह पर्व नए कपड़े, घर के सामान, उपहार, सोने के आभूषण, चांदी के बर्तन और अन्य बड़ी ख़रीददारी का समय होता है। इस त्योहार पर खर्च और ख़रीद को शुभ माना जाता है क्योंकि माता लक्ष्मी को, धन, समृद्धि, और निवेश की देवी माना जाता है।   

दीपावली का यह पर्व समाज में उल्लास, भाई-चारे व प्रेम का संदेश फैलाता है। यह पर्व सामूहिक, पारिवारिक व व्यक्तिगत सब तरह से मनाए जाने वाला ऐसा विशिष्ट पर्व है जो धार्मिक, सांस्कृतिक व सामाजिक विशिष्टता रखता है। हर प्रांत या क्षेत्र में दीपावली मनाने के कारण एवं तरीके अलग-अलग हैं पर सभी जगह यह पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है। लोगों में दीपावली की बहुत उमंग होती है पूरे साल इंतजार करते है। लोग अपने घरों का कोना-कोना साफ़ करते हैं, नये कपड़े पहनते हैं। मिठाइयों के उपहार एक दूसरे को बाँटते हैं, एक दूसरे से मिलते हैं। घर-घर में सुन्दर रंगोली बनायी जाती है, दिये जलाए जाते हैं और आतिशबाजी की जाती है। आप सभी की भारतीय परंपरा टीम की तरफ से दीपावली के ढेरो बधाईया।  

आपकी दीपावली मंगलमय हो, दीपावली पर्व को धूमधाम से मनाये साथ में कोरोना महामारी, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और फटाखों से जलने से स्वयं बचे और दूसरों की भी रक्षा करें। 

    

      

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