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रक्षाबंधन | राखी त्योहार के पीछे क्या तर्क है?

दोस्तों आप सभी को ये जानने की उत्सुकता रहती है की कोई त्योहार क्यूँ बनाया जाता है, उसके पीछे का क्या कारण था और वो अभी तक क्यू फॉलो किया जाता है| भाई और बहन का अटूट रिश्ता सबको याद है वो खट्टी - मीठी नोक झोंक, वो लड़ना, साथ में मस्ती करना, रात को चोरी करके खाना, भाई जब बहन की चोटी खींचता है तो बहन का माँ से बोलना समझा लो आपके लाडले को तो वो भाई का प्यार वाली चपत लगाना, भाई का पापा को बोलना की आप इसको कुछ नही बोलते आपके लाड प्यार ने बिगाड़ दिया इसको | ये सारी यादे आज भी सबके जहन में है, और नही तो हमने याद दिला ही दिया। 
ये हुई आज के टाइम की यादे और इसके लिए भाई और बहन का ये अटूट रिश्ता सदियों से चला आ रहा है।

राखी के त्योहार को लेकर अपनी बहुत सारी कथाये सुनी होंगी, भगवन कृष्ण और द्रोपदी की, इन्द्र देव, लक्ष्मी माँ और राजा बलि की, इतिहास में भी सिकंदर और राजा पुरु, रानी कर्णावती और सम्राट हुमायु और भी बहुत सारी, सभी कथाओं का अपना अपना महत्व भी है। इन सभी कथाओं का सार यही निकल कर आता है की जीवन में जब भी मुसीबत या विपदा की घडी आयी तो जिन लोगो ने रक्षा सूत्र बंधवाया उन सभी ने जरूरत आने पर रक्षा करके अपने वचन को निभाया है, और रक्षासूत्र को परिभाषित किया जैसे भगवान श्री कृष्ण ने भी द्रोपदी की रक्षा करी और हर कदम पर साथ निभाया।

दोस्तों सबसे बड़ा लॉजिक यही है की रक्षाबंधन सिर्फ एक धागा ही नही है बल्कि रक्षा का सूत्र है जो विश्वाश के साथ बांधा जाता है | भारतीय परंपरा में राखी के धागे को लोहे से भी मजबूत माना गया है जो की आपस में प्यार और विश्वास की परिधि में भाइयों और बहनों को दृढ़ता से बांधे रखता है।

एक रोचक तथ्य और है जो कि वैदिक काल से लेकर आज तक चला आ रहा है - इस परंपरा की शुरुआत देवासुर संग्राम से हुई थी, जिसमे ब्राम्हणो / पुरोहितों यजमानों (राजा और समाज के वरिष्ठजनों) को श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षा सूत्र बांधा करते थे। इसके लिए यजमान धर्म और यज्ञ की रक्षा का वादा करते थे

 

आइए जानते है भारत में इस त्योहार को किस नाम से जाना जाता है और कैसे मनाया जाता है -
  • पश्चिम भारत - यहां पर राखी पूर्णिमा को नारियल पूर्णिमा भी कहा जाता है, जिसमे नारियल को समुद्र में विसर्जित किया जाता है मतलब कि वरुण देव (जो की समुद्र देव है ) को नारियल अर्पण किया जाता है ।
  • दक्षिण भारत - यहां पर रक्षाबंधन को अवनी अबितम भी कहा जाता है। यह ब्राम्हणो के लिए अधिक महत्वपूर्ण है इस दिन मंत्रो उच्चारण के साथ ब्राम्हण आपने जनेऊ बदलते है, इस पूजा को श्रावणी या तर्पण पूजा भी कहा जाता है ।
  • उत्तर भारत - यहां पर रक्षाबंधन को कजरी पूर्णिमा भी कहते है, इस दिन अच्छी फसल के लिए माँ भगवती की पूजा की जाती है |
  • ये दिन भाई और बहनो के अलावा किसानो, मछुआरो और समुद्री व्यापारियों के लिए भी शुभ मन जाता है क्यूकी वो आज से आपने नए काम की शुरुआत करते है
"सभी भाई-बहनों को रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें। अरे सिर्फ भाई बहन ही क्यू २ भाई या २ बहन भी मिलकर ये त्योहार मना सकते है। आज के टाइम में आप दोनों एक दूसरे की रक्षा का प्रॉमिस करे और दोनों एक दूसरे को राखी बांध करके खुशियाँ मना सकते है ।"

दोस्तों अब आपको रक्षाबंधन के त्योहार का महत्व समझ आ गया होगा, आप सभी को रक्षा बंधन की ढेर सारी शुभकामनायें।

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Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं।

       

         

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