Bhartiya Parmapara

श्री लक्षेश्वर - महाशिवरात्रि पर्व

वैसे तो पूरा साल श्री लक्षेश्वर में दर्शनार्थियों का आना जाना लगा रहता है, किन्तु अनेक भव्य उत्सवों में यहाँ का एक भव्य उत्सव यानी श्री महाशिवरात्रि यात्रा महोत्सव! माह महीने की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को आने वाली शिवरात्रि अर्थात महाशिवरात्रि!  महाशिवरात्रि का यह उत्सव बड़ी धूमधाम से ९ दिनों तक चलता है। श्री लक्षेश्वर में महाशिवरात्रि के एक सप्ताह पहले ही श्रीमद्भागवत महापुराण, श्री गजानन महाराज विजय ग्रंथ के पारायण होते हैं। महाशिवरात्रि के दिन पारायण की समाप्ति होती है। इस निमित्त से बाहर से आए हुए लोगों के लिए पूरा सप्ताह अन्नदान एवं विश्राम व्यवस्था की जाती है। महाशिवरात्रि के दिनभर और रातभर भी भक्तों की भीड़ होती है। उस दिन लगभग सभी लोग उपवास करते हैं और मंदिर में रात भर भजन एवं जागरण का आयोजन किया जाता है ।      

महाशिवरात्रि का दूसरा दिन भी उत्साह भरा होता है । उस दिन सुबह से ही श्रीमद् भागवत सप्ताह की समाप्ति के साथ ही सामूहिक महाप्रसाद का आयोजन किया जाता है और शाम को शुरू होती है शोभायात्रा की तैयारी…..

 शाम को लगभग 6 बजे से ही श्री लक्षेश्वर मंदिर से शोभायात्रा निकलती है । इस शोभा यात्रा में आस पास के १०-१२ गाँवों से भजन मंडल, बँड, लेझिम पथक सहभाग लेते हैं । अलग अलग तरह की झांकीया भी की जाती हैं । पालकी में श्री शंकर जी की उत्सव मूर्ति होती है । सामने भजन मंडल और पालकी के पीछे अनेक भाविक स्त्री-पुरुष भजन गाते हुए चलते हैं । पूरी रात यह शोभायात्रा गांवों के सभी मुख्य रास्तों से होकर सुबह सुबह श्री लक्षेश्वर मंदिर पहुँचतीं है।


महाशिवरात्रि के तीसरे दिन सुबह आठ बजे से ही लाखपूरी के पूर्णा नदी पर मंदिर में जो कलश स्थापन किया जाता है उसके विसर्जन का उत्सव ही ‘दहीहांडी’ कहलाता है। 



  

महाशिवरात्रि के निमित्त से मंदिर में स्थापन किया हुआ कलश, भजन मंडली के साथ पुर्णा नदी पर ले जाते हैं । भैरवी अभंग के बाद आरती होती है और कलश के तीर्थ को “तीर्थ उठले उठेले” का गर्जना करते हुए नदी के तीर्थ अर्थात् जल में प्रवाहित किया जाता है । इस तरह से लाखपुरी में महाशिवरात्रि का पर्व ९ दिनों तक चलने वाला यह उत्सव पुरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है ।  
माघ की महाशिवरात्रि, श्रावण की कांवड़ यात्र, भाद्रपद में श्रीगणेश उत्सव, आश्विन और चैत्र महीने में नवरात्रि उत्सव, कार्तिक में विट्ठल रुक्मिणी महापूजा और मार्गशीर्ष में श्री दत्त जयंती के अवसर पर होने वाली महापूजा इस तरह से लगभग साल भर श्री लक्षेश्वर में उत्सव चलते रहते हैं। इसके अलावा अनेक महानुभाव पंथों के महातीर्थ इस मंदिर में है । पंथ के अनुसार उनकी उपासना लाखपूरी के श्री लक्षेश्वर मंदिर में चलती रहती हैं ।  
  

  

 

Login to Leave Comment
Login
No Comments Found
;
MX Creativity
©2020, सभी अधिकार भारतीय परम्परा द्वारा आरक्षित हैं। MX Creativity के द्वारा संचालित है |