Bhartiya Parmapara

शरद पूर्णिमा | शरद पूर्णिमा का महत्व

अश्विन मास के शुक्‍ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा मनाई जाती हैं। हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का बहुत महत्व अधिक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। मां लक्ष्मी दीवाली के दिन अवतरित हुवी थी और उसके बाद किसी कार्य को पूर्ण करने के लिए उन्होंने फिर से धरती पर लक्ष्मी नाम से जन्म लिया। इसलिए इस दिन को देवी लक्ष्‍मी के आगमन का दिन भी माना जाता है। इस दिन चंद्रमा अपनी समस्त कलाओं में परिपूर्ण होता है और माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत की बरसात होती है। इस दिन की चांदनी सबसे ज्यादा तेज प्रकाश वाली होती है। सबसे अहम बात देवी और देवताओं को सबसे ज्यादा प्रिय पुष्प "ब्रह्म कमल" भी शरद पूर्णिमा की रात को ही खिलता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, इस दिन किए गए धार्मिक अनुष्ठान कई गुना अधिक फल देते हैं। जो मनुष्य शरद पूर्णिमा का व्रत विधि-विधान तथा पूर्ण श्रद्धा से करता है उस पर माता लक्ष्मी की कृपा होती है और उम्र भी लंबी होती है।

शरद पूर्णिमा का महत्व -

कहते है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा धरती के बेहद पास होता है। जिसकी वजह से चंद्रमा से जो रासायनिक तत्व धरती पर गिरते हैं वह काफी सकारात्मक ऊर्जा वाले होते हैं और जो भी इसे ग्रहण करता है उसके अंदर सकारात्मकता बढ़ जाती है। इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर विचरण करती हैं। इसलिए शरद पूर्णिमा को बंगाल में "कोजागरा" भी कहा जाता है जिसका अर्थ है कौन जाग रहा है। शरद पूर्णिमा को "कोजागरी पूर्णिमा", "रास पूर्णिमा" और "कौमुदी महोत्सव" के नाम से भी जाना जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की चांदनी में अगर खीर बना कर रखी जाए और उसे अगले दिन खाया जाए तो व्यक्ति के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है औ इससे श्वांस / दमा के रोगियों को भी लाभ होता है। इससे आंखों की रोशनी भी अच्छी होती है। इस पूर्णिमा के बाद से ही धीरे-धीरे सर्दी का मौसम भी शुरू होने लगता है। इस दिन माता लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है।   

पौराणिक कथाओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात्रि में ही भगवान श्रीकृष्ण ने यमुना तट पर गोपियों के साथ महारास रचाया था |

        

          

शरद पूर्णिमा की खीर का महत्व -

- शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखने की परंपरा है। शरद पूर्णिमा की रात चांद अपनी पूरी सुंदरता बिखेरता है। इस रात चांद से निकलने वाली शीतल किरणें हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होती हैं।  
- धार्मिक मान्यता है कि इस रात चांद से अमृत बरसता है। इस रात खुले आसमान के नीचे खीर रखने से चांद से निकलने वाली किरणें सीधे खीर पर पड़ती है।  
- चांद की किरणों के प्रभाव से खीर में औषधीय गुण शामिल हो जाते हैं जिससे इस खीर को खाने से बहुत सी बीमारियों में राहत मिलती है।  
- आँखों की रौशनी के लिए यह खीर बहुत लाभदायक है |   
- दमा रोगियों के लिए यह खीर बहुत अच्छी औषधि मानी जाती है।  
- सिर दर्द या माइग्रेन की बीमारी वालो को भी यह खीर खानी चाहिए |   
- यह खीर खाने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है |   

 

        

          

शरद पूर्णिमा के उपाय -

- शरद पूर्णिमा की रात में सुई में धागा पिरोने का अभ्यास करने की भी परंपरा है। इसके पीछे कारण ये है कि सुई में धागा डालने की कोशिश में चंद्रमा की ओर एकटक देखना पड़ता है जिससे चंद्रमा की सीधी रोशनी आंखों में पड़ती है। इससे नेत्र ज्योति बढ़ती है।  
- अगर किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा नीच के स्थान में या क्षीण हों, या महादशा चल रही हो और चंद्रमा छठवें, आठवें या बारहवें भाव में हो तो शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा की पूजा करते हुए स्फटिक माला से "ॐ सों सोमाय मंत्र " का जाप करें। ऐसा करने से चंद्र दोष से शान्ति मिलेगी।  
- इस दिन रात्रि में की गई लक्ष्मी पूजा सभी कर्जों से मुक्ति दिलाती हैं। अतः शास्त्र में शरद पूर्णिमा को 'कर्जमुक्ति'  पूर्णिमा भी कहते हैं।  
- पूर्ण चंद्रमा के मध्याकाश में स्थित होने पर उसका पूजन कर अर्घ्य प्रदान करना चाहिए। जिससे पति - पत्नी के जीवन में क्लेश से मुक्ति मिलती है |   
- शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा की चांदनी गर्भवती महिला की नाभि पर पड़े तो गर्भ पुष्ट होता है।  
- शास्त्रों में कहा गया है कि हर पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी का आगमन होता है। अत: सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर पीपल के पेड़ पर कुछ मीठा चढ़ाकर जल जरूर अर्पित करें।  
- शरद पूर्णिमा के दिन व्यक्ति को सिर्फ सात्विक आहार ही ग्रहण करना चाहिए। व्यक्ति को इस दिन तामसिक भोजन और हर तरह के नशे से दूर रहना चाहिए।  
 

        

          

मां लक्ष्मी - शरद पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा पर धन प्राप्ति के लिए करें ये उपाय -

- शरद पूर्णिमा के दिन सुबह स्‍नान करने के बाद तुलसी को जल चढ़ाएं और शाम के वक्‍त तुलसी के नीचे घी का दीपक जलाने से मां लक्ष्‍मी प्रसन्‍न होती हैं।  
- रात को मां लक्ष्मी के सामने घी का दीपक जलाकर उन्हें गुलाब के फूलों की माला पहनाएं।   
- मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उन्हें सफेद मिठाई का भोग लगाएं। इनमें खीर, मखाना, दही, पान और बताशे होने चाहिए |   
- शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र की 11 माला का जाप करें - "ॐ ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद महालक्ष्मये नमः"  
- विष्‍णु सहस्‍त्रनाम का पाठ भी करना चाहिए।  
- मां लक्ष्‍मी का आगमन साफ-सुथरे घर में होता है। इसलिए शरद पूर्णिमा के दिन पूरे घर की अच्‍छे से साफ-सफाई करें और ध्‍यान रखें कि घर के किसी भी कोने में अंधेरा न रहे।   
- शरद पूर्णिमा के दिन स्‍नान के पश्‍चात मुख्‍य द्वार पर हल्‍दी मिलाकर पानी की छीटें लगाएं।   

शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्‍मी की कृपा आप पर सब पर बनी रहे।

यह भी पढ़े -  
❀ शरद पूर्णिमा की कहानी, पूजा की विधि   
 

        

          

Login to Leave Comment
Login
No Comments Found
;
©2020, सभी अधिकार भारतीय परम्परा द्वारा आरक्षित हैं। MX Creativity के द्वारा संचालित है |