Bhartiya Parmapara

मारबत - नागपुर का मारबत पर्व

हर रीती रिवाज, परंपरा, त्योहारों के पीछे कुछ न कुछ वजह होती है। हर परंपरा के पीछे एक कहानी, विश्वास, भावना और श्रद्धा होती है। हर गांव की अलग कहानी, अलग प्रथा ..... 
पुरे महाराष्ट्र में नागपुर शहर में तान्हा पोला के दिन मारबत निकलती है। मारबत याने बहोत बड़ा देविका रूप। यह त्योहार बुरी ताकतों और बीमारियों को दूर रखने के लिए स्थानीय लोगों द्वारा मनाया जाता है। 
ऐसी मान्यता है कि शहर पर आनेवाला संकट, बीमारियाँ, बुरी ताकदो, शत्रुता सब को मारबत अपने साथ ले जाती है और शहर को सुख-समृद्धि देकर विसर्जित होती है।
यह परंपरा बहोत पुरानी है। शहर से काली और पिली दो मारबत निकलती है। काली मारबत करीब करीब १४० साल और पिली मारबत १३६ साल की है ऐसे माना जाता है।



 

 

Marbat
मारबत - नागपुर का मारबत फेस्टिवल

मारबत का इतिहास ऐसा है की.......नागपुर में भोसले राजा का राज्य था। बाकाबाई भोसले याने भोसले घराने की रानी ने अंग्रेजो के साथ हाथ मिलाया था। 
यह आम जनता को पसंद नहीं आया, इसी का निषेध करने के लिए उनके नाम से काली मारबत निकाली गई। इसलिए वह बहोत बड़ी, भयंकर, डरावनी और भीषण आकृतिवाली रहती है । राजा का भी रानी को साथ था इसलिए उनके नाम से बडग्या (पुरुष मारबत) निकाली गई। समय के साथ कथा लुप्त हो गई पर परंपरा अभी भी कायम है। पिली मारबत याने देवी का रूप। दोनों मारबत की पूजा करके पुरे शहर में उनका जुलुस निकला जाता है। आजकल मारबत और बडग्या, राजकीय नेता के निषेध में या किसी सामाजिक समस्या या संकट पर निकलती है। शहर के लोग बड़े उत्साह के साथ इसमे भाग लेते है। मारबत के बारे में माना जाता है कि शहर पर आने वाला संकट ले जाती है और इसी भावना के साथ मारबत का विसर्जन किया जाता है।
"मना मनातली भीती, हेवे -दावे,शत्रूता घेऊन जाsssगे मारबत ....." ऐसे नारे लगाए जाते है।
इस साल पुरे विश्व को हैरान करने वाले 'कोरोना' को मारबत ले जाये ऐसी प्रार्थना करेंगे और बोलेंगे .......
"जगावरच संकट कोरोना, सोबत घेऊन जाssss गे मारबत...." 

लेखिका - लीना मंगेश लोखंडे, नागपुर 
अनुवाद - प्राजक्ता बड़े घारपुरे



 

 

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