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शारदीय नवरात्रि में घट स्थापना कैसे करे ? | कलश स्थापना

नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ ही होती है। घट स्थापना को कलश स्थापना भी कहा जाता है। घट स्थापित करके शक्ति की देवी का आह्वान करना होता है। मान्यता है कि गलत समय में घट स्थापना करने से देवी माँ क्रोधित हो सकती हैं। रात के समय और अमावस्या के दिन घट स्थापित नहीं करना चाहिए | मान्यतानुसार, घट स्थापना का सबसे शुभ समय प्रतिपदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद होता है। अगर किसी कारण वश आप उस समय कलश स्थापित न कर पाएं, तो अभिजीत मुहूर्त में भी स्थापित कर सकते हैं। प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है। सामान्यत: यह 40 मिनट का होता है।     

घट स्थापना एवं दुर्गा पूजन की सामग्री -     
❀ माँ दुर्गा को लाल रंग अति प्रिय है, इसलिए लाल रंग का आसन ले     
❀ जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र, जिसे वेदी कहते है     
❀ जौ बोने के लिए शुद्ध साफ़ की हुई मिट्टी जिसमे कंकर आदि ना हो     
❀ पात्र में बोने के लिए जौ ( गेहूं भी ले सकते है )     
❀ घट स्थापना के लिए मिट्टी का कलश ( सोने, चांदी या तांबे का कलश भी ले सकते है )     
❀ कलश में भरने के लिए नर्मदा या गंगाजल या फिर शुद्ध जल भी ले सकते है     
❀ रोली, मौली, इत्र, पूजा में काम आने वाली साबुत सुपारी, इलायची, लौंग, दूर्वा, साबुत चावल, कलश में रखने के लिए सिक्का ( किसी भी प्रकार का कुछ लोग चांदी या सोने का सिक्का भी रखते है )     
❀ पंचरत्न ( हीरा, नीलम, पन्ना, माणक और मोती )     
❀ पीपल, बरगद, जामुन, अशोक और आम के पत्ते ( सभी ना मिल पायें तो कोई भी दो प्रकार के पत्ते ले सकते है )     
❀ कलश ढकने के लिए ढक्कन ( मिट्टी का या तांबे का )     
❀ ढक्कन में रखने के लिए साबुत चावल     
❀ नारियल, लाल कपडा, फूल माला     
❀ फल तथा मिठाई, दीपक, धूप, अगरबत्ती     
❀ अशोक या आम के पांच पत्ते, फल-फूल, फूलों की माला     
❀ नारियल, चुनरी, सिंदूर और श्रृंगार दानी

  

    

कलश स्थापना
घट/कलश स्थापना विधि -

नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह जल्दी स्नान से निवृत होकर लाल रंग के कपडे पहने | फिर मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर माँ दुर्गा के नाम से अखंड ज्योति प्रज्वलित करे। घट स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं और एक तांबे के लोटे पर कुंकुम से स्वास्तिक बनाएं। फिर लोटे के ऊपरी हिस्से पर मौली बांधें। इसके बाद लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की डाले। उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत् डालें। इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं। अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर मौली से बांध दें और नारियल को कलश के ऊपर रखे। इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रखे, जिसमें जौ बोएं हैं।     

कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है, साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी जला सकते हैं।     
नवरात्रि में रंगो का अलग ही महत्व होता है | हर दिन का एक रंग तय है  
 

शारदीय नवरात्रि के 9 दिन -  
- प्रथम प्रतिपदा घटस्थापना - रंग : पीला (Yellow)  
- द्वितीया माँ ब्रह्मचारिणी पूजा - रंग : हरा (Green)    
- तृतीय माँ चंद्रघंटा पूजा - रंग : ग्रे (Gray)    
- चतुर्थी माँ कुष्माँडा पूजा - रंग : नारंगी (Orange)    
- पंचमी माँ स्कंदमाता पूजा - रंग : सफ़ेद (White)    
- षष्ठी माँ कात्यायनी पूजा - रंग : लाल (Red)    
- सप्तमी माँ कालरात्रि पूजा - रंग : नीला (Blue)    
- अष्टमी माँ महागौरी, दुर्गा महानवमी पूजा, दुर्गा महाअष्टमी पूजा - रंग : गुलाबी (Pink)    
- नवमी माँ सिद्धिदात्री, नवरात्रि पारण - रंग : बैंगनी (Purple)     
- दशमी दशहरा या विजयदशमी

     

यह भी पढ़े -  
❀ साल में कितनी बार नवरात्रि आती है?  
❀ शारदीय नवरात्रि में घट स्थापना कैसे करे ?  
❀ नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा 
❀ नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा  
❀ नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा  
❀ नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्‍माँडा की पूजा  
❀ नवरात्रि के पांचवे दिन माँ स्कंदमाता की पूजा  
❀ नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा  
❀ नवरात्रि के सातवां दिन माँ कालरात्रि की पूजा  
❀ नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा  
❀ नवरात्रि के नवमी दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा  
❀ नवरात्रि के दसवे दिन विजय दशमी (दशहरा)  
❀ चैत्र नवरात्रि  
❀ गुप्त नवरात्रि क्यों मनाते है ?

    

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