Bhartiya Parmapara

साजिबू नोंग्मा पैनाबा

जिस प्रकार से भारत वर्ष में नए साल को अलग अलग नामों से जाना जाता है जैसे - महाराष्ट्र में "गुड़ी पाड़वा", तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में "उगादी" उसी प्रकार मणिपुर में नव-वर्ष को साजिबू नोंग्मा पैनाबा के नाम से मनाया जाता है, जिसे "मीटीई चेइराओबा या सजिबू चीरोबा" भी कहा जाता है। सनमाहिस्म मणिपुर के धर्म का पालन करने वाले लोग इस त्योहार को नव-वर्ष के रूप में मनाते है। 

साजिबू नोंग्मा पैनाबा नाम मणिपुरी शब्दों से मिलकर ही बना है, साजिबू - वर्ष का पहला महीना जो आमतौर पर अप्रैल के महीने के दौरान मेइती चंद्र कैलेंडर के अनुसार आता है, नोंग्मा - एक महीने की पहली तारीख, पैनाबा - से हो। जिसका शाब्दिक अर्थ नए साल के पहले महीने का पहला दिन है। 


 

साजिबू नोंग्मा पैनाबा उत्सव

साजिबू नोंग्मा पैनाबा उत्सव कैसे मनाते है ?  

- मणिपुर राज्य के मेइती लोग इस उत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं, परिवार के सभी लोग दोपहर के भोजन के लिए एक साथ एकत्रित होते है, जिसे 'डी रिग्युर' कहा जाता है।   

- इस दिन की शुरुआत मेइती देवता लेनिंगथौ सनमही फलों, सब्जियों, चावल और अन्य बिना पके खाद्य पदार्थों के साथ करते है।  

- इसके बाद लेनिंगथौ सनमाही से आशीर्वाद प्राप्त करते है। 

- इस उत्सव में परंपरागत रूप से प्रसाद बनाया जाता है और सम संख्या में व्यंजन तैयार किए जाते हैं। इसमें घर के पुरुष व्यंजन बनाते हैं और महिलाये सामग्री को काटने और धोने में उनकी मदद करती हैं।  

- प्रसाद के लिए व्यंजन तैयार होने के बाद उसे दो अलग-अलग पारंपरिक स्थानों पर वितरित किया जाता है - पहला, घर के सामने के गेट पर और दूसरा घर के पीछे वाले गेट पर । इन स्थानों को विशेष रूप से साफ किया जाता है और छोटे क्षेत्र के आसपास सफाई करके और इसे कीचड़, फूल और पत्तियों से सजाकर पवित्र किया जाता है।  

- घर का सबसे बड़ा बेटा इस पवित्र क्षेत्र के तीनों देवताओं - कुमसाना कुमिक्लई (स्वर्ण वर्ष के भगवान), लामसेन तुसेंबा (भूमि के संरक्षक) और लमबाबा तुमाबा (भूमि के भगवान) को भेंट चढ़ाता है। जिसमे उबले हुए चावल, एक मुद्रा, फल, फूल, एक मोमबत्ती और एक अगरबत्ती, एक छोटे से टीले के आसपास के व्यंजनों की एक विषम संख्या (चांग ताबा), इन सभी को एक केला के पत्ते पर रख कर चढ़ाते है। 

- इसके बाद, डी रिग्युर (भोजन) के लिए तैयार किए गए व्यंजन रिश्तेदारों और पड़ोसियों के साथ आदान-प्रदान करते हैं। इस रिवाज को "मातेल लानबा" कहते है। ऐसा माना जाता है कि नए साल के दिन उस दिन जो कुछ भी होता है वह बाकी साल के लिए होता है यानी अगर आप उस दिन खुश और स्वस्थ रहेंगे तो आप बाकी साल के लिए भी खुश और स्वस्थ रहेंगे।  

- डी रिग्युर के बाद परिवार के सदस्य पहाड़ी देवता को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए इलाके के निकट समुदाय द्वारा विशेष रूप से तैयार की गयी एक छोटी सी पहाड़ी पर चढ़ते हैं। सिंगजमेई में "चिन-नेगा" और चिंगमेइरॉन्ग में "चीराओ चिंग" ऐसी पहाड़ी हैं जो विशेष रूप से इन पहाड़ी चढ़ाई की रस्म के लिए तैयार की जाते हैं। चढ़ाई के दौरान पहाड़ी पर सजावट की दुकाने, खिलौनो की दुकानें, खाने पीने की दुकाने और अन्य विभिन्न छोटी दुकानें पहाड़ी की सड़क पर कतार से लगाएगी जाती है जो पर्वतारोहियों को आकर्षित करती है। इस प्रथा को "चिंग काबा" कहा जाता है जिसे दोपहर से लेकर शाम के समय सूरज ढलने से पहले पूरा करना होता है।  
 

       

         

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