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गणेश उत्सव क्यों मनाते है - Why Celebrate Ganesh Utsav ?

बहुत पहले की बात है जब सृष्टि की शुरुआत हुई थी तब यह सवाल उठा कि प्रथम पूजनीय किसे माना जाये? सभी देवगण भगवान शिव के पास गए और इस समस्या के लिए सुझाव माँगा तब शिव जी ने कहा कि जो भी देव पृथ्वी की परिक्रमा पूरी करके सबसे पहले आएगा वो प्रथम पूजनीय होगा | 
सभी देवगण अपने-अपने वाहन से पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिए निकल गए।चूँकि गणेशजी का अपने वाहन मूषक के साथ परिक्रमा लगा के पहले आना नामुमकिन था, तब बुद्धि के देवता गणेशजी ने अपनी बुद्धि कौशल से काम लिया और हाथ जोड़ कर अपने माता -पिता ( माँ पार्वती और भगवान शिव ) की ३ परिक्रमा करली | तब भगवान शिव ने कहा कि तुमसे बड़ा बुद्धिमान और समझदार इस संसार में कोई नहीं है, माता-पिता की ३ परिक्रमा का अर्थ ३ लोक की परिक्रमा करना होता है, जिसका पुण्य पृथ्वी की परिक्रमा से भी कहीं अधिक बड़ा है | इसलिए गणेशजी को प्रथम पूजनीय घोषित किया| तबसे ही किसी भी कार्य को निर्विघ्न पूर्ण करने के लिए पहले भगवान् गणेश की पूजा करते हैं और गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहते है |

 

Shri Ganesh

गणेश चतुर्थी, जिसे विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, भगवान शिव और देवी पार्वती के छोटे पुत्र श्री गणेश जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को यह शुभ त्योहार मनाया जाता है। 
वैदिक काल में धार्मिक ग्रंथों के अनुसार वेद व्यास जी ने आँखें बंद करके १ ही आसन पर बैठ कर महाभारत की कथा गणेश जी को १० दिन में सुनाई और ११ दिन पर आँखें खोली तब देखा कि गणेश जी का शरीर बहुत अधिक तप रहा था।उन्होंने गणेश जी को पास ही बने पानी के कुंड में स्नान करवाया जिससे उनका तापमान कम हो सके | तभी से गणेश चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा १० दिन तक की जाने लगी और ११वे दिन(अनंत चतुर्दशी)पूजा के बाद गणेश विसर्जन किया जाता है। इसे उत्तरपुजा के रूप में जाना जाता है। 
ऐतिहासिक तथ्यों से पता चलता है कि गणेश चतुर्थी उत्सव महाराष्ट्र में महान मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा संस्कृति और राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया था। 
गणेशोत्सव पहले सिर्फ घरों में ही मनाते थे, लेकिन सन् १८९३ से ये सामूहिक उत्सव के रूप में बड़े-बड़े पंडालों में मनाया जाने लगा जिसकी बाल गंगाधर तिलक जी ने अंग्रेजों के विरुद्ध एकजुट होने के उद्देश्य से महाराष्ट्र से शुरुआत की।तब से इस पर्व की धूम महाराष्टृ में बहुत अधिक है | 
गणेश चतुर्थी भारत के कई राज्यों में और यहाँ तक कि कई दूसरे देशों जैसे थाईलैंड, कंबोडिया, इंडोनेशिया और नेपाल में भी भक्ति और खुशी से मनाई जाती है। महाराष्ट्र के अलावा गोवा, केरल, तमिलनाडु, राजस्थान में भी यह उत्सव मनाया जाता है | राजस्थान में इसे "डांडिया चौथ" भी कहते है और यह लड़कों का त्योहार माना जाता है | 
भगवान गणेश को 108 विभिन्न नामों से जाना जाता है| व्यापक रूप से इन्हें गणपति या विनायक के रूप में जाना जाता है।गणेश जी की २ पत्नियाँ ऋद्धि और सिद्धि है | इनका प्रिय भोग मोदक है |

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