हम में से बहुत कम लोग यह जानते है कि एक साल में 4 बार नवरात्रि पड़ते हैं। साल के प्रारम्भ में पहले माह चैत्र में पहली नवरात्र होती है, फिर चौथे माह आषाढ़ में दूसरी नवरात्र पड़ती है, इसके बाद अश्विन माह में प्रमुख शारदीय नवरात्र होती है और साल के अंतिम माघ माह में गुप्त नवरात्र होते हैं। इन सभी नवरात्रों का उल्लेख देवी भागवत तथा अन्य धार्मिक ग्रंथों में भी किया गया है। चारों नवरात्रि में से चैत्र और शारदीय नवरात्र प्रमुख माने जाते हैं जिन्हे हम धूमधाम से मानते है।
नवरात्रि का मतलब - "नव + रात्रि " यहाँ नव का शाब्दिक अर्थ 9 माना जाता है, जिसमे 9 दिनों तक चलने वाला यह त्योहार होता है और इसके अतिरिक्त 'नव' का अर्थ 'नया' भी कहा जा सकता है, इसमें नौ दिनों तक माँ दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है। हिंदी कैलेंडर के हिसाब से चैत्र माह से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है और इसी दिन से नवरात्र भी शुरू होते हैं, लेकिन सर्वविदित है कि चारों नवरात्रि में से चैत्र और शारदीय नवरात्र प्रमुख माने जाते हैं। साल में यह दो नवरात्रे मनाए जाने के पीछे पौराणिक, आध्यात्मिक और प्राकृतिक कारण हैं।
पौराणिक मान्यता -
शास्त्रों में नवरात्रि का त्योहार मनाए जाने के पीछे दो कारण बताए गए हैं। पहली पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर नाम का एक राक्षस था जो ब्रह्मा जी का बड़ा भक्त था। दैत्य गुरु शुक्राचार्य के कहने पर उसने कठोर तपस्या करी और अपने तप से ब्रह्माजी को प्रसन्न करके एक वरदान प्राप्त कर लिया। वरदान में उसे कोई देव, दानव या पृथ्वी पर रहने वाला कोई मनुष्य मार ना पाए। वरदान प्राप्त करते ही वह बहुत निर्दयी हो गया और तीनो लोकों में आतंक माचने लगा। उसके आतंक से परेशान होकर देवी-देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु, महेश के साथ मिलकर माँ शक्ति के रूप में दुर्गा को जन्म दिया। माँ दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ और दसवें दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।
एक दूसरी कथा के अनुसार, भगवान राम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले और रावण के संग युद्ध में जीत के लिए शक्ति की देवी माँ भगवती की आराधना की थी। उन्होंने नौ दिनों तक माता की पूजा करी और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर माँ ने श्रीराम को लंका में विजय प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। दसवें दिन भगवान राम ने लंकापति रावण को युद्ध में हराकर उसका वध कर लंका पर विजय प्राप्त की। इस दिन को विजय दशमी के रूप में जाना जाता है।
आध्यात्मिक पहलू -
आधात्यामिक पहलू के हिसाब से सोचे तो साल में दो बार नवरात्र का सबसे बड़ा कारण मौसम है, एक नवरात्रि चैत्र मास में गर्मी की शुरुआत में आती है तो वहीं दूसरी सर्दी के प्रारंभ में आती है। मनुष्य को वर्षा, जल, और ठंड से राहत मिलती है। गर्मी और सर्दी दोनों मौसम में आने वाली सौर-ऊर्जा से हम सब बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं और यह फसल पकने की अवधि भी होती है। ऐसे जीवनोपयोगी कार्य पूरे होने के कारण दैवीय शक्तियों की आराधना करने के लिए यह समय सबसे उत्तम माना जाता है।
भौगोलिक तथ्य -
भोगौलिक आधार पर गौर किया जाए तो मार्च और अप्रैल के जैसे ही, सितंबर और अक्टूबर के बीच भी दिन और रात की लंबाई के समान होती है। तो इस भौगोलिक समानता की वजह से भी एक साल में इन दोनों नवरात्र को मनाया जाता है। प्रकृति में आए इन बदलाव के कारण हमारे मन और दिमाग में भी परिवर्तन होते हैं। इस प्रकार नवरात्र के दौरान व्रत रखकर शक्ति की पूजा करने से शारीरिक और मानसिक संतुलन बना रहता है।
नवरात्र का महत्व -
नवरात्र के 9 दिनों के दौरान माँ के 9 स्वरूपों की पूजा होती है, ऐसी मान्यता है कि माँ दुर्गा इस दौरान अपने भक्तों की पुकार जरूर सुनती है और उनकी मनोकामनाये पूर्ण करती है | लोग पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ नवरात्रि पर देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं।
नवरात्रि माँ काली, लक्ष्मी, और सरस्वती के रूप में माँ दुर्गा की पूजा की जाती है। पहले तीन दिन, देवी की पूजा काली के रूप में की जाती है जो हमारी सभी अशुद्धियों का नाश करने वाली होती है। अगले तीन दिनों में, हम देवी माँ को लक्ष्मी के रूप में मानते हैं, जिन्हें अकूत धन का दाता माना जाता है। इसके अगले तीन दिन देवी को ज्ञान और ज्ञान के देवी सरस्वती के रूप में पूजा जाता है। त्योहार के आठवें दिन को "अष्टमी" के रूप में और नौवें दिन को "महा नवमी" और चैत्र नवरात्रि पर "राम नवमी" के रूप में भी मनाया जाता है।
भारत के लगभग हर हिस्से में नवरात्रि का त्योहार पूरे नौ दिनों तक मनाया जाता है। नवरात्रि त्योहार माँ दुर्गा के सम्मान में मनाया जाता है। माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों को माता शैलपुत्री, माता ब्रह्मचारिणी, माता चंद्रघंटा, माता कुष्माँडा, माँ स्कंद माता, माँ कात्यायनी, माता कालरात्रि, माता महागौरी और माता सिद्धिदात्री के नाम से जाना जाता है। पहले दिन घटस्थापना होती है और माँ शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती है | नवरात्रि के 9 दिन इतने शुभ होते है कि इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करने के लिए मुहूर्त निकलने की जरुरत नहीं होती है |
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❀ नवरात्रि के दसवे दिन विजय दशमी (दशहरा)
❀ चैत्र नवरात्रि
❀ गुप्त नवरात्रि क्यों मनाते है ?
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